राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दिया जवाब.
Rahul Gandhi Maharashtra Match Fixing: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक अग्रेजी अखबार में लिखे अपने लेख के जरिए भाजपा पर आरोप लगाया कि महाराष्ट्र चुनावों में 'मैच फिक्सिंग' की गई और अब कुछ ऐसा ही बिहार में दोहराया जाएगा. राहुल गांधी ने अपने इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर किया. इस लेख को सोशल मीडिया मंच X पर शेयर करते हुए राहुल गांधी ने X लिखा कि भाजपा और उसके सहयोगियों ने महाराष्ट्र में चुनाव जीतने के लिए 5 स्टेप की प्लानिंग की थी. कांग्रेस नेता ने यह कहा कि महाराष्ट्र की तरह की मैच फिक्सिंग अगली बार बिहार में होगी, फिर किसी भी राज्य में जहां भाजपा हारती दिख रही हो.
How to steal an election?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 7, 2025
Maharashtra assembly elections in 2024 were a blueprint for rigging democracy.
My article shows how this happened, step by step:
Step 1: Rig the panel for appointing the Election Commission
Step 2: Add fake voters to the roll
Step 3: Inflate voter… pic.twitter.com/ntCwtPVXTu
भाजपा, जदयू के नेताओं ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर उठाई आपत्ति
राहुल गांधी के इस आरोप पर भाजपा के साथ-साथ जदयू, हम सहित अन्य दलों ने भी कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रतिक्रिया दी है. इधर अब निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों पर लंबा जवाब दिया है. चुनाव आयोग ने प्वाइंट वाइस जवाब देते हुए पूरी स्थिति और प्रक्रिया को स्पष्ट किया है. चुनाव आयोग के लेटर का लब्बोलुआब है कि राहुल के सभी आरोप बेबुनियाद है. ऐसे आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग को बदनाम करना बेतुका है.
'चुनाव के फैसले पक्ष में नहीं आने पर ऐसे आरोप लगाना बेतुके'
चुनाव आयोग ने अपने जवाब में राहुल गांधी के दावों को निराधार बताया. आयोग ने लिखा, 'चुनाव के फैसले पक्ष में नहीं आने के बाद ऐसे आरोप लगाना बेतुके हैं. 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को भेजे अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ऐसा लगता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते हुए इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है.'
ऐसे आरोप चुनाव कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने वालेः चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने यह भी लिखा कि किसी के द्वारा प्रसारित कोई भी गलत सूचना चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की बदनामी तथा चुनाव कर्मचारियों का मनोबल तोड़ने वाला होता है, जो इस बड़ी कवायद के लिए अथक परिश्रम करते हैं. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची को लेकर लगाए गए निराधार आरोप कानून के शासन का अनादर है.
INC - 22 April 2025 (1) by prabhanshuranjanprabhu on Scribd
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए लिखा, किसी के भी द्वारा भ्रमित करने वाली सूचना देना न सिर्फ़ कानून का अपमान है बल्कि उन्हीं की पार्टी के चुने हुए प्रतिनिधियों की साख गिराना है. इन आरोपों से चुनाव कर्मियों का मनोबल भी गिरता है.
चुनाव आयोग ने बताया- आखिरी दो घंटों में 65 लाख वोट पड़े
चुनाव आयोग ने यह भी लिखा कि सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक क़रीब 6.41 करोड़ मतदाताओं ने वोट दिया. यानि हर घंटे औसतन 58 लाख वोट पड़े. इस लिहाज़ से आख़िरी दो घंटों में 116 लाख वोट पड़ सकते थे. जबकि आख़िरी दो घंटों में केवल 65 लाख वोट पड़े जो औसत से काफ़ी कम था.
'मैच हारने के बाद रेफरी को दोष देने जैसी बात'
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा है, ''मैच हारने के बाद रेफरी को दोष देना अब एक नई और बेतुकी आदत बन चुकी है.'' चुनाव आयोग ने यह भी साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को उनके द्वारा किए गए सवालों का जवाब पहले ही 24 दिसंबर 2024 को दिया जा चुका है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि उन्हें दिया गया जवाब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोप को पूरी तरह बेबुनियाद और कानून का अपमान बताया.
इससे पहले भारतीय निर्वाचन आयोग ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर किए गए "आधारहीन" और "अनुचित" दावों का बिंदुवार जवाब दिया था और वास्तविक तथ्यों को सामने रखा था.
तब राहुल गांधी ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता के साथ समझौता किया गया है. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का तब उदाहरण दिया था. इसका जवाब चुनाव आयोग की तरफ से दिया गया था.
राहुल गांधी ने तब मतदान के आखिरी दो घंटों में 65 लाख वोट डाले जाने के चुनाव आयोग के ''तर्क'' पर सवाल उठाते हुए इसे ''असंभव'' बताया था. चुनाव आयोग ने इसके बाद जारी बयान में कांग्रेस सांसद के दावों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े तथ्य और डेटा साझा किए थे.
आयोग ने तब बताया था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 से शाम 6 बजे तक कुल 6,40,87,588 मतदाता मतदान केंद्र पहुंचे और अपने वोट डाले. औसतन प्रति घंटे करीब 58 लाख वोट डाले गए. इन औसत रुझानों के हिसाब से अंतिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाताओं का वोट डालना संभव था.
निर्वाचन आयोग ने तब कहा था कि इसके अलावा उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त किए गए मतदान एजेंटों के सामने मतदान हो रहा था. कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष जांच के समय भी किसी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई पुख्ता आरोप नहीं लगाए थे.
नियम के अनुसार, या तो चुनाव से ठीक पहले और/या हर साल एक बार, मतदाता सूची का विशेष सारांश संशोधन किया जाता है और मतदाता सूची की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सहित सभी राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है.
आयोग ने आगे कहा था कि महाराष्ट्र चुनाव के दौरान मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के मुकाबले, प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (डीएम) के समक्ष केवल 89 अपील दायर की गई और द्वितीय अपीलीय प्राधिकरण (सीईओ) के समक्ष केवल एक अपील दायर की गई.
आयोग ने तब कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2024 से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की ओर से कोई शिकायत नहीं थी.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि उसने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के मुद्दों को बार-बार उठाकर इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है.
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा था, "मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान, 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए ईआरओ द्वारा नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों द्वारा 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गए थे, जिनमें कांग्रेस द्वारा 27,099 एजेंट नियुक्त किए गए थे. इसलिए, महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं."
आयोग ने गलत सूचना फैलाने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना भी की थी और इसे कानून के शासन का अपमान बताया था. उसने बयान में कहा था, "किसी के द्वारा फैलाई जा रही कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने स्वयं के राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों को भी बदनाम करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों को हतोत्साहित करती है, जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं."
राहुल गांधी की 'चुनाव आयोग की निष्पक्षता से समझौता' वाली टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आयोग ने कहा था कि ऐसी टिप्पणियों का उद्देश्य चुनाव आयोग को बदनाम करना है, जो पूरी तरह से बेतुका है.
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