
सहारा समूह ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया कि शीर्ष अदालत के उस आदेश में एक त्रुटि है, जिसमें समूह की 20 हजार करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपे जाने जाने तक सहारा प्रमुख सुब्रत राय के खिलाफ देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई है।
सहारा समूह का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीए सुंदरम ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा था कि यदि दस्तावेज तीन सप्ताह के भीतर बाजार नियामक को नहीं सौंपे जाते हैं, तो ही राय को विदेश जाने से रोका जाएगा।
उन्होंने न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन और एके सिकरी की पीठ के समक्ष कहा, लेकिन शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया आदेश कहता है कि सेबी को दस्तावेज सौंपे जाने तक राय को विदेश जाने से रोक दिया गया है। यह पीठ के सोमवार के आदेश से भिन्न है।
सुंदरम का पक्ष सुनने के बाद न्यायाधीश सिकरी ने कहा कि वह पीठ का हिस्सा रहे न्यायाधीश जेएस खेहड़ से विचार-विमर्श करेंगे और समूह की याचिका पर विचार करेंगे। खेहड़ उस पीठ में थे, जिसने सोमवार को यह आदेश दिया था।
सहारा समूह पर ‘लुका छुपी’ का खेल खेलने और उस पर अब अधिक समय भरोसा नहीं किए जाने की बात करते हुए शीर्ष अदालत ने सोमवार को सहारा समूह को निर्देश दिया था कि वह अपनी 20 हजार करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज सेबी को सौंपे। अदालत ने साथ ही यह चेतावनी दी थी कि ऐसा करने में विफल रहने का मतलब होगा कि सुब्रत राय भारत नहीं छोड़ सकते, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया आदेश कहता है, उपरोक्त निर्देश ( मालिका हक संबंधी दस्तावेजा सेबी को सौंपा जाना) का अनुपालन सेबी की संतुष्टि के अनुसार, जब तक नहीं किया जाता , वे (राय और अन्य निदेशक) अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे। कल न्यायाधीश राधाकृष्णन और न्यायाधीश खेहड़ की पीठ ने यह आदेश पारित किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि निवेशकों का पैसा बाजार नियामक के पास जमा कराने के अलावा सहारा समूह के समक्ष और कोई चारा नहीं बचा है। इसके साथ ही न्यायालय ने सहारा समूह को सेबी को संपत्तियों की मूल्यांकन रिपोर्ट सौंपने को कहा है जो संपत्ति के मूल्याकन की जांच करेगा। राय के वकील ने पूर्व में कहा था कि इससे उनकी (राय) की प्रतिष्ठा और कारोबार प्रभावित होगा।
पीठ ने हालांकि सहारा समूह को आश्वासन दिया है कि यदि निवेशकों का धन वापस किया जाता है तो उसके हितों की रक्षा की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 नवंबर की तारीख तय की है जब वह इस संबंध में आगे आदेश पर विचार करेगा कि उन संपत्तियों का क्या किया जाएगा, जिनके मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज सेबी को सौंपे जाएंगे।
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