छत्तीसगढ़ शराब घोटाले को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद ED पर मौखिक टिप्पणी की. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आप डर का माहौल ना बनाएं. कोर्ट की यह टिप्पणी राज्य सरकार के उस दावे के बाद आई है जिसमे कहा गया है कि ईडी अंधाधुंध भाग रही है. राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों को "मानसिक, शारीरिक" यातना का सामना करना पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इन आरोपों को लेकर ED से जवाब भी तलब किया है.
"मुख्यमंत्री को फंसाने की है कोशिश"
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ED के वकील एएसजी एसवी राजू से कहा कि भय का माहौल न बनाएं, क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार ने आरोप लगाया है कि ईडी "परेशान चल रही है" और कथित 2,000 करोड़ रुपये की शराब से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को फंसाने की कोशिश कर रही है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें से एक को ईडी ने मामले के संबंध में गिरफ्तार भी किया है.
"ईडी बौखलाई हुई"
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अधिकारियों ने शिकायत की है कि ईडी उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तारी की धमकी दे रही है. इतना ही नहीं एजेंसी मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश भी कर रही है. कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि ईडी बौखलाई हुई है. वे आबकारी अधिकारियों को धमका रही हैं. यह चौंकाने वाली स्थिति है. उन्होंने आरोप लगाया कि चुकि राज्य में अब चुनाव आने वाले हैं, इसलिए भी ऐसा किया जा रहा है.
ED ने भी रखा अपना पक्ष
वहीं, ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने राज्य सरकार की तरफ से लगाए गए तमाम आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है. इसपर पीठ ने कहा कि जब आप इस तरह का व्यवहार करते हैं तो एक वास्तविक कारण भी संदिग्ध हो जाता है.
अधिकारियों ने ED पर लगाया आरोप
राज्य ने याचिका में पक्षकार बनाने की मांग करते हुए एक आवेदन दाखिल किया है, जिसमें दावा किया गया है कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने जांच के दौरान ईडी अधिकारियों द्वारा "मानसिक और शारीरिक यातना" का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की है. राज्य सरकार ने अपने आवेदन में दावा किया है कि कई अधिकारियों ने गंभीर आरोप लगाया है कि न केवल उन्हें धमकाया गया बल्कि अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को भी शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और खाली पन्नों या पहले से टाइप किए गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की धमकी दी गई.
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