विज्ञापन

ट्रंप-जिनपिंग और PM मोदी : एक दिन में आई दो खबरों का ऐलान- भारत ने पहला गोल दाग दिया है

अमेरिका और चीन की इस कुश्ती में भारत खुद खेल भी रहा है और उसे ये दोनों देश अपने पाले में भी देखना चाहते हैं. मौका मैट के बाहर से न्यूट्रल होकर खेल देखने का नहीं, बिना किसी पाले में गए अपने प्वाइंट बटोरने का है.

ट्रंप-जिनपिंग और PM मोदी : एक दिन में आई दो खबरों का ऐलान- भारत ने पहला गोल दाग दिया है
नई दिल्ली:

"पीएम मोदी 'डियर फ्रेंड' ट्रंप से मिलने फरवरी में जा सकते हैं अमेरिका, दोनों ने फोन पर की बात"... "पांच साल बाद भारत-चीन के बीच सीधी हवाई सेवा, कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर होगी शुरू..." दुनिया के दो छोर से ये दो खबरें एक ही दिन में आई हैं और ये भारत के विदेश मंत्रालय को रास आ रही होंगी. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से दुनिया अनिश्चितता की बयार महसूस कर रही है. कूटनीति विशेषज्ञों की जुबान पर घूम-फिरकर एक ही सवाल आ रहा है- अब आगे क्या? ऐसे वक्त में आई इन दो हेडलाइन में एक जवाब दिखता है. वह यह कि वर्ल्ड ऑर्डर में पावर को लेकर जब-जब अमेरिका और चीन आमने-सामने होंगे, भारत की अहमियत बढ़ेगी और पीएम मोदी अपनी डिप्लोमेसी के कार्ड गेम में अपने इस तुरूप के इक्के को पहचानते हैं.

सवाल है कि क्या जियो-पॉलिटिक्‍स की मौजूदा स्थिति में भारत विन-विन पोजिशन में दिख रहा है? अमेरिका में ट्रंप की वापसी को सब संदेह की नजर से देख रहे हैं, बावजूद इसके भारत खुद को ट्रंप के गुडबुक में क्यों पा रहा है? क्या ट्रंप-जिनपिंग के बीच कुश्ती का खेल शुरू होने से पहले दोनों देशों ने भारत को अपने पाले में लाने की कोशिश शुरू कर दी है?

Latest and Breaking News on NDTV

इन गुगली पर फोकस करने से पहले प्लेग्राउंड को समझते हैं, यानी खेल के बेसिक.

पीएम मोदी- ‘गुड फ्रेंड' ट्रंप की बातचीत और फिलगुड फैक्टर

अमेरिका आज भी वर्ल्ड ऑर्डर में बिना किसी सवाल के पहले पायदान पर काबिज है. साथ ही अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. यह दोनों फैक्ट ही यह बताने को काफी हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप की वापसी कूटनीतिक रूप से भारत के लिए कितना अहम है. ‘अमेरिकी फर्स्ट' के नारे के साथ ट्रंप बड़े बदलावों की बात कर रहे हैं. ऐसे में शपथ ग्रहण के बाद से ही सबकी नजर इस पर भी थी कि पीएम मोदी और ट्रंप की पहली बातचीत कब होगी है.

सोमवार, 27 जनवरी को दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत के कुछ घंटों बाद, ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी में व्हाइट हाउस का दौरा कर सकते हैं. साथ ही कहा कि अमेरिका के "भारत के साथ अच्छे संबंध" हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

इस कॉल के साथ, पीएम मोदी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के ऐसे पहले नेता बन गए, जिन्होंने शपथ ग्रहण बाद ट्रंप से बात की.

ट्रंप ने रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा, “मैंने सुबह उनसे (पीएम मोदी) लंबी बातचीत की. वह अगले महीने, संभवतः फरवरी में, व्हाइट हाउस आने वाले हैं. भारत के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं.”

यह पूछे जाने पर कि क्या पीएम मोदी "अवैध अप्रवासियों को वापस लेने" पर सहमत हुए हैं, ट्रंप ने कहा, "वह वही करेंगे जो सही होगा. हम चर्चा कर रहे हैं”.

व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ "सार्थक" फोन कॉल की और "निष्पक्ष" द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों और गहरे भारत-अमेरिका सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने की मांग की. पीएम मोदी और ट्रंप दोनों ने "अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी और इंडो-पैसिफिक क्वाड साझेदारी को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया. इस साल के अंत में भारत पहली बार क्वाड लीडर्स की मेजबानी करेगा.

Latest and Breaking News on NDTV

पांच साल बाद चीन-भारत रिश्ते हाइवे-ट्रैक पर

भारत और चीन के बीच दो दिवसीय विदेश सचिव स्तर की वार्ता हुई, जिसमें आने वाली गर्मियों में कैलाश-मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने पर भी सैद्धांतिक सहमति बनी है. 

अक्टूबर में कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक हुई थी. इसमें बनी सहमति के अनुसार, दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की और संबंधों को स्थिर करने और उसे फिर से खड़ा करने के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति जताई. 

Latest and Breaking News on NDTV

मानसरोवर यात्रा की बहाली को इस दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. यह यात्रा 2020 की कोविड महामारी के बाद से रोक दी गई है. लेकिन इस यात्रा के रुकने के पीछे सिर्फ महामारी वजह नहीं थी. इसकी वजह दोनों के बीच सीमा विवाद के बाद खराब हुए रिश्ते भी थे. भारत-चीन के बीच जून 2020 में डोकलाम विवाद हुआ था और 2019 मार्च में कोरोना की पहली लहर आई थी.

टैरिफ, अवैध प्रवासी, सीमा विवाद…. भारत तमाम सवालों के बीच फ्रंटफुट पर

दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा होता है. यकीन मानिए यह सिर्फ कहावत नहीं है. कूटनीति के क्षेत्र में यह सिंपल एक जोड़ एक = दो जैसा फंडा है. 

जिंनपिंग और ट्रंप, दोनों अपनी संरक्षणवादी नीतियों के लिए जाने जाते हैं. यानी आगे वाले देश से ज्यादा महत्व अपने हितों को देते हुए उतना ही दरवाजा खोलना जितना फायदे में हो. अब ट्रंप ने अपना पूरा चुनाव ही ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' और ‘अमेरिका फर्स्ट' जैसे नारों के साथ लड़ा है. उन्होंने शपथ ग्रहण के साथ ही इस दिशा में एक के बाद एक बड़े फैसले लिए हैं. कोई भी रास्ता अख्तियार करने से चूक भी नहीं रहे.

Latest and Breaking News on NDTV

एक उदाहरण देखिए. अमेरिका में रह रहे कोलंबियन मूल के कथित अवैध प्रवासियों को ट्रंप प्रशासन ने फ्लाइट में बैठा कर कोलंबिया भेजा. लेकिन कोलंबिया ने उन्हें वापस लेने से इंकार कर दिया. इस पर जवाब में ट्रंप ने कोलंबिया से आने वाले हर सामान पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी. फिर क्या, कोलंबिया को बैकफुट पर आना पड़ा और सभी प्रवासियों को लेना पड़ा.

ट्रंप सिर्फ अवैध प्रवासियों की वापसी (डिपोर्टेशन) के मुद्दे पर एक्टिव नहीं है. वो व्यापार के मोर्चे पर भी भारत-चीन जैसे देशों को हड़का रहे हैं. ट्रंप ने मंगलवार को भारत, चीन और ब्राजील को "जबरदस्त टैरिफ लगाने वाले देश" बताया और कहा कि उनकी सरकार इन तीनों को इस रास्ते पर आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देगी. उन्होंने घोषणा की कि हम ऐसा नहीं होने देंगे, क्योंकि हम अमेरिका के हितों को पहले स्थान पर रखेंगे.

ट्रंप का यह स्टैंड अपने आप में भारत के आर्थिक हितों के खिलाफ जाता दिखता है. लेकिन ट्रंप और अमेरिका का चीन के साथ एक और ऐसा समीकरण है जो भारत के साथ नहीं है- रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता (स्ट्रैटेजिक राइवलरी). दोनों में लड़ाई वर्चस्व की है और भारत यहीं पर फायदे में दिखता है.

Latest and Breaking News on NDTV

भारत ट्रंप की वापसी का लाभ उठाने का प्रयास कर रहा है और उसे ऐसा ही करना चाहिए. पीएम मोदी ट्रंप की जीत के बाद उनसे बात करने वाले पहले नेताओं में से एक रहे हैं. पीएम मोदी ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने की कोशिश की थी और उसमें सफलता भी पाई थी. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को बैलेंस करने के लिए भारत से रिश्ते मजबूत करने पर जोर दिया था. खास बात यह है कि ट्रंप के शासन में ही क्वाड को 2017 में पुनर्जीवित किया गया था. भारत में होने वाले अगले क्वाड शिखर सम्मेलन के साथ यह साझेदारी और मजबूत होने जा रही है. इस तरह से दोनों देशों के बीच सुरक्षा और रक्षा सहयोग के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा है.

फिर से ट्रंप ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जिस नेता को सबसे पहले कॉल घुमाया है वो पीएम मोदी हैं. ट्रंप को चीन के विस्तारवादी रवैए का तोड़ भारत से दोस्ती मजबूत करने में नजर आता है.

चीन भारत को नाराज करने से बचेगा

वहीं दूसरी तरफ चीन की कोशिश है कि मई 2020 में गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई झड़प से जिन रिश्तों में खटास पड़ गई थी, उन्हें फिर से बहाल किया जा सके. 

Latest and Breaking News on NDTV

चीन को यह पता है कि ट्रंप बिना किसी झिझक के अपनी संरक्षणवादी नीतियों को लागू करने जा रहे हैं. अमेरिका के साथ चीन के संबंध तनावपूर्ण हो जाएंगे. तो ऐसे में इस तनावपूर्ण रिश्ते को कई मोर्चों पर जारी रखना ही क्यों है? कम से कम भारत के साथ साझेदारी या संभावित रिश्ते को आसान बनाया जाए.

भारत विरोधी कैंपेन से पीछा छुड़ा रहे हैं मालदीव के राष्ट्रपित मुइज्जू

ऐसे में देखें तो भारत को दोनों देशों को एक साथ लेकर चलना होगा ताकि अपने हितों को साधा जा सके. भारत अपने किसी सीमा पर विवादों को जल्द से जल्द सुलझता हुआ देखना चाहेगा. मालदीव के मामले में उसे अपनी कूटनीति का फायदा भी देखने को मिला है. अब वहां के राष्ट्रपित मुइज्जू भारत विरोधी कैंपेन से पीछा छुड़ा रहे हैं.

यानी कुल जमा यह है कि अमेरिका और चीन की इस कुश्ती में भारत खुद खेल भी रहा है और उसे ये दोनों देश अपने पाले में भी देखना चाहते हैं. मौका मैट के बाहर से न्यूट्रल होकर खेल देखने का नहीं, बिना किसी पाले में गए अपने प्वाइंट बटोरने का है. ट्रंप की वापसी से एक बार फिर नया खेल शुरू हुआ है और अभी तक की खबर है कि भारत ने शुरूआती बढ़त ले ली है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com