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भारत में डॉक्टर मरीजों का अनुपात कितना, सरकार ने संसद में दी जानकारी, जानें अमेरिका, चीन जैसे देशों में क्या हाल

भारत में मरीजों और डॉक्टरों का अनुपात कितना है, इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताई है. आइए जानते हैं कि चिकित्सकों और मरीजों का अनुपात कितना है.

भारत में डॉक्टर मरीजों का अनुपात कितना, सरकार ने संसद में दी जानकारी, जानें अमेरिका, चीन जैसे देशों में क्या हाल
Doctor Patient Ratio
नई दिल्ली:

भारत में मेडिकल कॉलेजों की तादाद पिछले 10 साल में दोगुनी हो गई है, हालांकि अभी भी देश में लोगों की संख्या और डॉक्टरों का अनुपात काफी कम है. देश में 811  लोगों के मुकाबले सिर्फ 1 ही चिकित्सक है. स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में ये जानकारी दी है. देश में मेडिकल कालेज, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की तादाद दोगुना से ज्यादा बढ़ गई है. देश में वर्ष 2014 में 387 से बढ़कर 818 मेडिकल कॉलेज हो गए हैं. देश में 13 लाख 88 हजार 185 पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टर है. जबकि 7 लाख 51 हजार से कुछ अधिक आयुष डॉक्टर हैं. 
अंडर ग्रेजुएट सीटें 51348 से 128875 और पोस्टग्रेजुएट सीटें 31185 से बढ़ते हुए 82059 हो गई हैं. 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल कॉलेज के अनुसार, हार्ट अटैक की वजहों को जानने के लिए आईसीएमआर राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (ICMR-NIE) ने देश के 25 बड़े अस्पतालों में एक सर्वे किया है. इनमें अक्टूबर 2021 से जनवरी 2023 तक दो साल तक अस्पताल में भर्ती 18 से 45 वर्ष के मरीजों की जानकारी इकट्ठा की गई है. भारत की जनसंख्या अभी 140 करोड़ से ज्यादा है. नड्डा ने कहा कि अगर यह माना जाए कि 20 फीसदी डॉक्टर अभी प्रैक्टिस नहीं कर रहे हैं तो 80 फीसदी के अनुपात के हिसाब से 811 मरीजों पर एक डॉक्टर है. 

बड़े देशों में डॉक्टरों का अनुपात

  • अमेरिका में 1000 लोगों पर 2.6 डॉक्टर
  • चीन में 1000 व्यक्तियों पर 2.5 डॉक्टर
  • ब्राजील में 1000 व्यक्तियों पर 2.8 डॉक्टर
  • भारत में 811 लोगों पर एक चिकित्सक

नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार ग्रामीण और पिछड़े आदिवासी इलाकों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं. देश में 157 नए मेडिकल कॉलेजों में 137 का संचालन भी शुरू हो गया है. जिले और रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की गई है. ग्रामीण इलाकों में इलाज की अच्छी सेवा के लिए एफएपी को एमबीबीएस कोर्स में शामिल किया गया है. इसमें मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्र गांवों को गोद लेते हैं और उनकी स्वास्थ्य देखभाल करते हैं. इन गांवों में वैक्सीनेशन, स्वास्थ्य योजनाओं का क्रियान्वयन, ​​मासिक धर्म हाइजीन, आयरन-फोलिक एसिड की उपलब्धता और संक्रामक रोगों को रोकथाम पर ध्यान दिया जाता है.

मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों को भत्ता

नड्डा के मुताबिक, मेडिकल कॉलेजों में सेकेंड और थर्ड ईयर के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को जिला अस्पतालों में तैनाती मिली है. गांव और दूरदराज के क्षेत्रों में इलाज की सुविधाएं और आवास के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों को हार्ड एरिया अलाउंस दिया जाता है.

विदेशी डॉक्टरों को मंजूरी

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NMC) विदेश में पंजीकृत डॉक्टरों (गैर भारतीय) को विशिष्ट उद्देश्य के साथ भारत में अभ्यास की अनुमति दी गई है.इसमें ट्रेनिंग, फेलोशिप, रिसर्च, ऑर्ब्जेवेशन और सुपर स्पेशलिटी कोर्स शामिल हैं. 
 

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