विज्ञापन
This Article is From Oct 30, 2020

कोरोना के बीच पटाखों वाली दीवाली? कोविड मरीजों पर दोहरी मार का खतरा, एक्सपर्ट्स ने उठाई यह मांग

इस बार कोरोनावायरस के चलते विशेषज्ञों की गुजारिश है कि लोगों को इस बार पटाखों से खासतौर पर बचना चाहिए. उनका कहना है कि सर्दी-प्रदूषण का मिश्रण ख़तरनाक है और कोविड के मरीज़ और इससे ठीक हुए मरीज़ों पर भी इसका असर भारी पड़ सकता है.

कोरोना के बीच पटाखों वाली दीवाली? कोविड मरीजों पर दोहरी मार का खतरा, एक्सपर्ट्स ने उठाई यह मांग
सर्दी और वायु प्रदूषण का मिश्रण एक्टिव और ठीक हो चुके मरीजों की मुसीबत बढ़ा सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई:

फरवरी महीने से देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) से फैली कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) से जूझते-जूझते अक्टूबर भी खत्म हो गया है. अब देश वायरस के साए में दीवाली (Diwali 2020) की तैयारी कर रहा है. हालांकि, इस बार कोरोनावायरस के चलते विशेषज्ञों की गुजारिश है कि लोगों को इस बार पटाखों से खासतौर पर बचना चाहिए. उनका कहना है कि सर्दी-प्रदूषण का मिश्रण ख़तरनाक है और कोविड के मरीज़ और इससे ठीक हुए मरीज़ों पर भी इसका असर भारी पड़ सकता है.

इस बार सर्दी और प्रदूषण के प्रकोप से कोरोना और खतरनाक रूप ले सकता है, इसलिए दीवाली से होने वाले प्रदूषण से सचेत एक्सपर्ट्स पटाखों से दूरी बनाने की गुज़ारिश कर रहे हैं. आयुष अस्पताल के डॉ सुहास देसाई ने कहा कि 'पटाखे जब फोड़े जाते हैं तो स्मॉल पार्टिकल्स हवा में घुलते हैं जिसे हम aerosol बोलते हैं, इससे कोविड का वायरस फैलता है, दीवाली में पटाखों से ये और ज्यादा फैलेगा.'

फ़ोर्टिस अस्पताल के चीफ़ इंटेंसिविस्ट डॉ संदीप पाटिल ने बताया कि 'ठंड के वक्त प्रदूषण बढ़ता है, वायरल इंफ़ेक्शन बढ़ते हैं, दीवाली में प्रदूषण बढ़ने के कारण दमे के मरीज़ों और कोविड के मरीज़ों को सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है.'

यह भी पढ़ें : कोरोना के मोर्चे पर सुधार के संकेत? देश में COVID-19 के एक्टिव केस 6 लाख से नीचे

दरअसल, प्रदूषण बढ़ने पर धूल के कण कम ऊंचाई पर जमा हो जाते हैं, जिससे वायरस के ज्यादा देर हवा में ठहरने का खतरा है, जिसका मतलब है ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. पहले से कोविड-19 की चपेट में आ चुके लोगों के लिए ये दोहरे वार जैसा होगा. खासकर उन लोगों के लिए जिनके फेफड़ों पर वायरस ने गंभीर असर डाला है.

डॉ देसाई ने कहा, 'जो मरीज़ कोविड से संक्रमित हैं, उनमें से अधिकतर के फेफड़ों पर हम कुछ ना कुछ असर देख रहे हैं. बहुत मरीज़ों की रिकवरी के बाद भी फेफड़ों पर ये असर रहता है-जिसे हम पल्मनेरी फ़ायब्रोसिस बोलते हैं-पाया जाता है और उसको ठीक होने में समय लगता है. जो एक्टिव कोविड मरीज हैं और जो कोविड से ठीक हो गए हैं, दोनों पर वायु प्रदूषण का सीधा प्रभाव पड़ेगा! तो मेरी तो गुज़ारिश है कि इस साल तो पटाखों को पूरी तरह से बैन कर देना चाहिए.'

इधर दीवाली से पहले, महाराष्ट्र कोविड टास्क फ़ोर्स ने BMC से टेस्टिंग बढ़ाने की मांग की है. फोर्स के डॉ राहुल पंडित ने कहा, 'कोविड टास्क फ़ोर्स ने कहा है कि टेस्टिंग बढ़ाएं, भले कोविड के नंबर कम हो रहे हैं लेकिन टेस्टिंग को बढ़ाना है, 12-15 हज़ार कर रहे हैं, लेकिन 25 हज़ार करना चाहिए.'

यह भी पढ़ें : कोरोना ने बच्चों को बनाया मानसिक रोगी, माता-पिता के स्ट्रेस से छोटे बच्चों में 'फोबिया डिजॉर्डर्स'

मुंबई में वायु गुणवत्ता 257 पर है. मानकों के हिसाब से सेहत के लिए ये हवा ख़राब है. ऐसे में शहर की जानी-मानी वातावरण संस्था ने ‘धूमधमाका बिना पटाखा' कैंपेन लॉन्च किया है. वातावरण संस्था के संस्थापक भगवान केशभट ने कहा, 'इस अभियान का उद्देश्य है कि लोगों के अंदर जागरूकता आए. पटाखों के अंदर जो अलग-अलग जहरीले तत्व हैं. उसके बारे में हम लोगों को बताएं.'

त्योहारों पर छाए कोविड के कोहरे में, इस साल पटाखों वाली दीवाली भी धुंधली हो, एक्सपर्ट्स ऐसा जरूरी मानते हैं लेकिन क्या लोग मानेंगे या सरकारी सख़्ती की ज़रूरत होगी? यह देखना होगा!

Video: कोरोना ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर डाला असर

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com