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डर, धोखा और मौत: डिजिटल अरेस्ट ने छीन ली बुजुर्ग दंपति की जिंदगी, पूरी कहानी जान हो जाएंगे हैरान

तीन महीने तक ब्लैकमेल, धमकियां और उत्पीड़न सहने के बाद दंपति इतना टूट गया कि उसने मौत को गले लगाना बेहतर समझा. फ्लावियाना का शव घर के अंदर मिला, जबकि डिएगो का शव बाहर पानी के टैंक से निकाला गया.  

डर, धोखा और मौत: डिजिटल अरेस्ट ने छीन ली बुजुर्ग दंपति की जिंदगी, पूरी कहानी जान हो जाएंगे हैरान
नई दिल्ली:

डिजिटल अरेस्ट की घटना देश में एक चुनौती बनती जा रही है. कर्नाटक के बेलगावी जिले के खानापुर तालुक में एक बुजुर्ग दंपति की दर्दनाक कहानी ने हर किसी के दिल को झकझोर कर रख दिया है. 83 साल के डिएगो संतान नाजरेथ और उनकी 80 साल की पत्नी फ्लावियाना, जो क्रिश्चियन गली में अपने घर में रहते थे, ने गुरुवार की देर शाम अपनी जिंदगी को अलविदा कह दिया. यह कहानी सिर्फ एक आत्महत्या की घटना नहीं, बल्कि ऑनलाइन ठगों के जाल में फंसकर टूटते सपनों और बेबसी की तस्वीर है. 

तीन महीने तक ब्लैकमेल, धमकियां और उत्पीड़न सहने के बाद दंपति इतना टूट गया कि उसने मौत को गले लगाना बेहतर समझा. फ्लावियाना का शव घर के अंदर मिला, जबकि डिएगो का शव बाहर पानी के टैंक से निकाला गया.  यह  दृश्य किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे.

पुलिस ने क्या बताया?
पुलिस के मुताबिक, दंपति ने नींद की गोलियां खाकर अपनी जान दी. डिएगो ने पहले अपनी गर्दन को दरांती (हंसिया) से काटने की कोशिश की और फिर पानी के टैंक में छलांग लगा दी. महाराष्ट्र सरकार से अधिकारी के पद से रिटायर हुए डिएगो ने एक नोट छोड़ा, जिसमें उनके दर्द को समझा जा सकता है. 

अंग्रेजी में लिखे इस नोट में उन्होंने बताया कि जनवरी से ही ठगों ने उन्हें अपना निशाना बनाया था. खुद को नई दिल्ली के टेलीकॉम अधिकारियों के रूप में पेश करने वाले इन ठगों ने डिएगो और फ्लावियाना पर उनकी मोबाइल सिम का दुरुपयोग कर "आपराधिक गतिविधियां" करने का इल्जाम लगाया था. डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर इन ठगों ने बुजुर्ग दंपति को डर के साये में जीने को मजबूर कर दिया था. 

सुसाइड नोट में सामने आए 2 नाम
नोट में दो नाम सामने आए हैं सुमित बिर्रा और अनिल यादव. इन लोगों ने दंपति से 5 लाख रुपये ठग लिए और फिर और पैसे की मांग शुरू कर दी. डिएगो ने लिखा कि इस दबाव को झेलने के लिए उन्होंने गोवा और मुंबई में लोगों से पैसे कर्ज लिए. अपनी संपत्तियां बेचकर इन कर्जों को चुकाने की गुहार भी उन्होंने नोट में लगाई है.

सोचिए, एक उम्र में जहां इंसान को सुकून और सम्मान की जरूरत होती है, वहां यह दंपति ठगों के हाथों लुटता रहा. उनके पास न संपत्ति बची, न उम्मीद, और आखिरकार न जीने की चाह. 

बेलगावी के पुलिस अधीक्षक भीमाशंकर गुलेद ने इस दोहरी आत्महत्या पर दुख जताया है. उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी संदिग्ध कॉल की तुरंत सूचना दें. लेकिन अफसोस, इस दंपति ने न पड़ोसियों को बताया, न पुलिस को।.शायद डर, शर्मिंदगी या बेबसी ने उन्हें चुप रहने को मजबूर किया था. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. एक मोबाइल फोन, आत्महत्या नोट और दरांती जब्त की गई है.  दंपति की आखिरी इच्छा के मुताबिक, उनके शव बीआईएमएस मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया गया है. 

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