
भारत में शिक्षा किस तरह के बदलाव ला रही है, इसकी एक मिसाल का जिक्र केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीटीवी एजुकेशन कॉन्क्लेव में किया. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मैं गर्व महसूस करता हूं कि फोर्ब्स ने भारत के जिन दो इनोवेटिव ग्रुप को अपनी मैगजीन में जगह दी है. वो दोनों ग्रुप दोनों ही उड़ीसा से ताल्लुक रखते हैं. इनमें से बनाए एक ग्रुप के आईजी ड्रोन ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सेना की अगुवाई में हमारे इन्हीं ड्रोन ने बॉर्डर पार मिशन को अंजाम दिया. इसे बनाने वाले संभलपुर में वीर सुरेंद्र साईं टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रहे हैं. उन्होंने स्टार्ट-अप के जरिए क्रिटिकल टेक्नोलॉजी के साथ ये काम किया कि बॉर्डर पर ड्रोन कैसे काम करेगा. उसे ड्रोन को उड़ीसा के स्टूडेट्स ने बनाकर आर्मी को सप्लाई किया.
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किसने बनाया ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल होने वाला ड्रोन
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिसमें ओडिशा की स्टार्टअप कंपनी आईजी ड्रोन की भूमिका ने सबका ध्यान खींचा. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए. इस ऑपरेशन में आईजी ड्रोन ने अपनी स्वदेशी ड्रोन तकनीक के जरिए भारतीय सेना को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की. आईजी ड्रोन, जिसकी स्थापना 2018 में वीर सुरेंद्र साई विश्वविद्यालय, संबलपुर के पांच छात्रों—बोधिसत्व संगप्रिय, ओम प्रकाश, शुवम दास, संबित प्रसाद परिदा, और आशीष कुमार जेना ने की थी.
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ओडिशा के ड्रोन का पाकिस्तान के खिलाफ कैसे हुआ इस्तेमाल
ओडिशा के होनहार स्टूडेंट्स के बनाए इन ड्रोन ने ऑपरेशन सिंदूर में टोही, इलाके की मैपिंग, और रियल-टाइम डेटा कलेक्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कंपनी के ड्रोन्स ने दुर्गम क्षेत्रों में लक्ष्य की पहचान और तेज निर्णय लेने में सेना की मदद की. इसके अलावा, कंपनी के कामिकेज ड्रोन्स और एफपीवी (फर्स्ट-पर्सन व्यू) ड्रोन्स ने सटीक हमलों में योगदान दिया. भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी भूमिका के लिए चार ड्रोन कंपनियों को सम्मानित किया. आईजी ड्रोन उनमें से एक है - जिसे न केवल अपने प्रदर्शन के लिए बल्कि लागत-प्रभावी और पूरी तरह से स्वदेशी होने के लिए भी सम्मानित किया गया."
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