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असम के ग्वालपाड़ा में तोड़फोड़: SC ने चीफ सेक्रेटी सहित अन्य अधिकारियों को जारी किया अवमानना का नोटिस

असम के ग्वालपाड़ा स्थित हसीला बील गांव के निवासियों ने इलाके में घरों, दुकानों और ढाँचों को कथित अवैध रूप से ध्वस्त करने के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका दायर की है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.

असम के ग्वालपाड़ा में तोड़फोड़: SC ने चीफ सेक्रेटी सहित अन्य अधिकारियों को जारी किया अवमानना का नोटिस
  • सुप्रीम कोर्ट ने असम के चीफ सेकेट्री और जिला अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है.
  • ग्वालपाड़ा के हसीला बील गांव में घरों, दुकानों और ढाँचों को कथित अवैध रूप से ध्वस्त करने का आरोप है.
  • याचिकाकर्ता पिछले पचास से साठ वर्षों से क्षेत्र में रह रहे हैं और पंजीकृत मतदाता हैं.
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने असम के चीफ सेकेट्री और जिला अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है. प्रशासन पर अदालत के आदेशों के उल्लंघन का आरोप है. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने ग्वालपाड़ा ज़िले के एक गाँव में घरों, स्कूलों और दुकानों को कथित अवैध रूप से ध्वस्त करने के लिए असम सरकार के खिलाफ कार्रवाई की माँग करने वाली सिविल अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है .

ग्वालपाड़ा के हसीला बील गांव में तोड़े गए थे मकान, दुकान

मालूम हो कि असम के ग्वालपाड़ा स्थित हसीला बील गांव के निवासियों ने इलाके में घरों, दुकानों और ढाँचों को कथित अवैध रूप से ध्वस्त करने के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका दायर की है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि उनके पूर्वजों द्वारा वहाँ बस्तियाँ बसाने के बाद से वे पिछले 50-60 वर्षों से इस इलाके में रह रहे हैं.

याचिकाकर्ताओं का दावा- वो पंजीकृत वोटर, आधार-पैन भी है

याचिकाकर्ता पंजीकृत मतदाता हैं और उनके पास पैन और आधार कार्ड भी हैं. याचिका में कहा गया है कि यह तोड़फोड़ 13 जून को अंचल अधिकारी द्वारा जारी 'बिना तारीख वाला नोटिस' के बाद हुई. जिसमें संबंधित क्षेत्र के सभी निवासियों को दो दिनों के भीतर सभी मकान, ढाँचे, दुकानें, इमारतें और फसलें हटाने का निर्देश दिया गया था.

सरकुलर के अनुसार, यह क्षेत्र कथित तौर पर वर्ष 2015 में असम मत्स्य विकास निगम को आवंटित किया गया था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रभावित पक्षों को व्यक्तिगत रूप से कोई उचित नोटिस दिए बिना ही बेदखली की गई. केवल एक माइक्रोफोन पर खाली करने की घोषणा की गई.

हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे पीड़ित

याचिका में यह भी कहा गया है कि कुछ पीड़ित व्यक्तियों ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की. जहां न्यायालय ने इस मामले में नोटिस तो जारी किया, लेकिन कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद अब सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया है.

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