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दिल्ली में बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 23 करोड़, कभी ED तो कभी CBI अफसर बन धमकाया, जानें पूरा मामला

4 अगस्त से 4 सितंबर के बीच, करीब 20 ट्रांज़ैक्शन के ज़रिए बुजुर्ग के तीन बैंक खातों से लगभग 23 करोड़ रुपये ठगों ने निकाल लिए.

दिल्ली में बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 23 करोड़, कभी ED तो कभी CBI अफसर बन धमकाया, जानें पूरा मामला
एआई इमेज
  • साउथ दिल्ली के गुलमोहर पार्क में रहने वाले 78 वर्षीय रिटायर्ड बैंकर से 23 करोड़ की ठगी
  • ठगों ने ईडी और सीबीआई के अफसर बताकर बैंकर को डिजिटल अरेस्ट किया
  • फर्जी बेल ऑर्डर भेज पासपोर्ट ज़ब्त करने और देश से बाहर न जाने की धमकी भी दी
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नई दिल्ली:

दिल्ली में एक हैरान कर देने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है. साउथ दिल्ली के गुलमोहर पार्क में रहने वाले 78 साल के रिटायर्ड बैंकर नरेश मल्होत्रा को ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट' में फंसाकर करीब 23 करोड़ रुपये की ठगी कर ली. अगस्त की शुरुआत में मल्होत्रा को एक फोन आया. कॉल करने वाली महिला ने खुद को टेलीकॉम कंपनी की सीनियर अफसर बताया और कहा कि उनका मोबाइल नंबर फ्रॉड और गैर-कानूनी कामों में इस्तेमाल हुआ है.

ईडी और सीबीआई अफसर बन धमकाया

इसके बाद उन्हें अलग-अलग नंबरों से कॉल आने लगे. कोई खुद को मुंबई पुलिस बता रहा था, तो कोई ईडी और कोई सीबीआई का अफसर बनकर धमका रहा था. उन्हें कहा गया कि उनके अकाउंट्स में टेरर ग्रुप्स से लिंक मिले हैं और उन पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है. ठगों ने मल्होत्रा को कहा कि अब वे डिजिटल अरेस्ट में हैं. साथ ही उनसे कहा गया कि वे हर दो घंटे में वीडियो कॉल पर हाज़िरी दें.

ठगों ने 24 करोड़ ठगे

ठगों ने एक फर्जी बेल ऑर्डर भी भेजा और कहा कि इससे उनकी गिरफ्तारी टल जाएगी. मल्होत्रा से ये सब सीक्रेट रखने का हलफनामा भी साइन कराया गया. पासपोर्ट ज़ब्त होने और देश से बाहर न जा पाने की धमकी दी गई. परिवार को नुकसान पहुंचाने की भी धमकी दी. 4 अगस्त से 4 सितंबर के बीच, करीब 20 ट्रांज़ैक्शन के ज़रिए उनके तीन बैंक खातों से लगभग 23 करोड़ रुपये ठगों ने निकाल लिए.

मामले की जांच में जुटी पुलिस

धोखेबाज़ों ने उनसे बैंक डिटेल्स और निवेश की जानकारी भी हासिल की. पीड़ित ने आखिरकार पुलिस को शिकायत दी. दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट  ने 19 सितंबर को FIR दर्ज की. पुलिस ने अभी तक करीब 2.3 करोड़ रुपये फ्रीज़ किए हैं. जॉइंट सीपी IFSO राजनीश गुप्ता ने बताया कि मामला जांच में है और आरोपियों की पहचान की जा रही है.

क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट' फ्रॉड

साइबर अपराधी खुद को पुलिस या सरकारी एजेंसी का अफसर बताकर लोगों को डराते हैं. उन्हें यह यकीन दिलाया जाता है कि वे बड़े अपराध में फंसे हैं और अब डिजिटल निगरानी में हैं. इसके बहाने उनसे लगातार वीडियो कॉल करवाई जाती है और धीरे-धीरे उनसे पैसों की ठगी की जाती है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि यह एक बड़ा और गंभीर केस है. बुज़ुर्ग और रिटायर्ड लोगों को ऐसे फ्रॉड से बचाने के लिए जागरूक रहना बेहद ज़रूरी है. पुलिस बार-बार अपील कर रही है कि कोई भी पुलिस, सीबीआई या ईडी फोन पर आपसे पैसे नहीं मांगती. ऐसे कॉल आते ही तुरंत 1930 पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन या नज़दीकी थाने में संपर्क करें.

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