दिल्ली के मुख्य सचिव से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ( LG VK Saxena) ने केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) की विजिलेंस रिपोर्ट को स्वीकार करने से मना कर दिया है. साथ ही उन्होंने केजरीवाल सरकार की सिफारिश को 'पूर्वाग्रह से ग्रस्त और योग्यता रहित' बताया है. इसे लेकर उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक नोट लिखा है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इस कथित जांच का पूरा मकसद सच्चाई का पता लगाना नहीं था, बल्कि मीडिया ट्रायल शुरू करना और इस पूरे मामले का राजनीतिकरण करना था.
उपराज्यपाल ने कहा कि मुख्य सचिव और डिविजनल कमिश्नर की सिफारिश पर मैंने पहले ही सीबीआई जांच की सिफारिश का अनुमोदन किया है और मामले की सीबीआई जांच चल रही है. इसलिए मेरे सामने विचार के लिए रखी गई सिफारिश पूर्वाग्रह से ग्रस्त है और योग्यता से रहित है. इसलिए इस पर सहमत नहीं हुआ जा सकता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि चूंकि रिपोर्ट का चुनिंदा हिस्सा कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गया है, इसलिए प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इस कथित जांच का पूरा मकसद सच्चाई का पता लगाना नहीं था, बल्कि मीडिया ट्रायल शुरू करना और इस पूरे मामले का राजनीतिकरण करना था, जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने है. कोई भी यह सोचने को मजबूर हो जाता है कि क्या यह पूर्वाग्रह पैदा करके अदालत को प्रभावित करने की कोशिश है.
'आरोप की पुष्टि अनुमान के आधार पर नहीं हो सकती'उन्होंने कहा कि केवल संदेह होना कानूनी सुबूत नहीं हो सकता है. किसी भी आरोप की पुष्टि केवल अनुमान के आधार पर नहीं हो सकती है.
जांच के मूल सिद्धांतों का पालन नहीं हुआ : सक्सेनाअपने नोट में उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में विजिलेंस मंत्री आतिशी का जोर डीएम, डिवोशनल कमिश्नर और चीफ सेक्रेटरी की मिली भगत के आरोप पर है, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है, लेकिन जांच के मूल सिद्धांतों का भी पालन इस मामले में नहीं किया गया है. इस रिपोर्ट में कोई भी नया तथ्य सामने नहीं लाया गया है.
'मुख्य सचिव ने उल्लेखनीय प्रशासनिक विवेक का प्रदर्शन किया'उन्होंने कहा कि उपलब्ध तथ्यों से यह पूरी तरह साफ है कि जैसे ही मामला डिविजनल कमिश्नर के संज्ञान में आया, उन्होंने इसे 2 जून 2023 को ही फाइल पर ले लिया और वहीं से बिना किसी न्यायिक दखल के जांच शुरू हो गई. रिपोर्ट में कहीं भी ऐसा कोई तथ्य रिकार्ड में नहीं लाया गया है जिससे यह पता चले कि संबंधित अधिकारियों ने तत्परता से कार्रवाई नहीं की. वास्तव में मुख्य सचिव और डिविजनल कमिश्नर दोनों ने उल्लेखनीय प्रशासनिक विवेक का प्रदर्शन किया.
मुख्य सचिव को पद से हटाने और निलंबित करने की थी सिफारिशइससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार से जुड़े बामनोली जमीन अधिग्रहण कथित भ्रष्टाचार मामले में विजिलेंस मंत्री आतिशी की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल से मुख्य सचिव को पद से हटाने और निलंबित करने की सिफारिश की थी.
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