सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार और हत्या के जुर्म में चार दोषियों में से दो की मौत की सजा पर आज अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी।
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस एनवी रमण की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि इस मामले में पहले ही दो दोषियों की मौत की सजा पर रोक लगाई जा चुकी है, इसलिए वही आदेश इन अपील पर भी दिया जा रहा है।
अदालत ने विनय शर्मा (21) और अक्षय ठाकुर (29) की मौत की सजा के अमल पर आज रोक लगाई। इन दोनों को इस मामले में दो अन्य दोषियों मुकेश (27) और पवन गुप्ता (20) के साथ मौत की सजा सुनाई गई थी। मुकेश और पवन की मौत की सजा पर कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है।
अदालत में आज कार्यवाही के दौरान कुछ क्षण के लिए भ्रम की स्थिति बनी रही, क्योंकि खंडपीठ जानना चाहती थी कि क्या चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की टिप्पणी के आलोक में वह इस मामले की सुनवाई कर सकती है। चीफ जस्टिस ने कहा था कि मौत की सजा से संबंधित मामलों की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ से कम सदस्यों की पीठ नहीं करेगी।
न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को तलब किया, जिन्होंने बताया कि इस संबंध में अभी तक ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इसके बाद खंडपीठ ने अपील पर सुनवाई की और फिर आदेश दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 मार्च को इस सनसनीखेज सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखते हुए इनकी अपील खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा था कि अगर यह मामला बिरलतम की श्रेणी में नहीं आता है तो फिर कोई अन्य प्रकरण भी इस श्रेणी में नहीं आ सकता है।
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