
बच्चियों का बलात्कार करने वालों पर त्वरित कार्रवाई और छह महीने के भीतर फांसी दिए जाने की मांग को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों, साहित्यकार और समाजसेवियों ने सोमवार को इंडिया गेट के समक्ष प्रदर्शन किया.
2019 के शुरुआती छह महीने में बच्चियों से बलात्कार के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 24000 से ज्यादा बच्चियां इसकी शिकार हुई हैं. यह सिर्फ सरकारी आंकड़े हैं, वास्तविक संख्या और अधिक हो सकती है. फांसी में देरी के चलते आपराधिक मानसिकता के लोगों में कानून का भय नहीं है. फांसी की सजा पाने के बाद भी अब तक जीवित बलात्कार के दोषियों की संख्या लगभग 60 है. धनंजय चटर्जी के बाद भारत में इस आरोप में किसी को फांसी नहीं हुई.
प्रदर्शनकारियों ने इसके लिए change.org कैंपेन और signature campaign के साथ ही फेसबुक ग्रुप और पेज बनाकर एवं दो महीने बाद फिर से बड़े स्तर का प्रदर्शन कर इस मांग को सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने का निर्णय लिया. साथ ही मौके पर उपस्थित लोगों के बीच हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की गई.
विरोध प्रदर्शन के दौरान वरिष्ठ पत्रकार प्रो. चंद्रकांत प्रसाद सिंह, कवि मित्रपाल सिसोदिया, कवि अरविंद पथिक, लेखक और संपादक राज किशोर सिन्हा, लेखिका वंदना सिंह, कुमारी वंदना, प्रमोद राय, हिंदू महासभा के दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष विजय सोनकर, मूलचंद, रंजना, सामाजिक कार्यकर्ता सुमित कुमार, सुशील कुमार, योगेश, प्रमोद राय और छात्रा कुसुमांजलि सिंह ने विचार व्यक्त किए.
VIDEO : 6 महीने में 24212 बलात्कार, बच्चों का कैसा हिन्दुस्तान?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं