दिल्ली विधानसभा
नई दिल्ली:
मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज इन तीन दिल्ली के मुख्यमंत्रियों ने कभी दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाया. दिल्ली की गद्दी पर 15 साल तक सत्ता संभालने वाली शीला दीक्षित ने महज तीन विशेष सत्र बुलाए. शीला दीक्षित ने पहला दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र तब बुलाया जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि दिल्ली में कोई भी नॉन CNG गाड़ियां नहीं चलेंगी. इस स्थिति से निपटने के लिए विपक्ष को भरोसे में लेकर सुप्रीम कोर्ट से वक्त मांगने का फैसला लिया गया.
दूसरा विधानसभा का विशेष सत्र सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले पर बुलाया गया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली के लघु उद्योग को रिहायशी इलाकों से तुरंत बाहर किया जाए. इससे लाखो लोगों की रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया था. विशेषसत्र बुलाकर इसमें भी सुप्रीम कोर्ट से वक्त मांगने का प्रस्ताव पास किया गया.
तीसरा विधानसभा का विशेष सत्र बीजेपी की केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा का प्रस्ताव पास करके भेजे. उस पर विशेषसत्र बुलाकर प्रस्ताव पास करके भेजा गया था. दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा बताते हैं कि 20 साल में बीजेपी और कांग्रेस के शासन में तीन विशेषसत्र बुलाए गए थे. बाकी संविधान में उल्लेख है कि बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र को बुलाया जाता है. जब आपात स्थिति होती है तभी विशेषसत्र बुलाया जाना चाहिए.
केजरीवाल सरकार ने पिछले साल ही तीन विशेष सत्र बुलाए. आम आदमी पार्टी की सरकार ने पिछले साल 9 जून को निगम के कामकाज पर चर्चा कराने के लिए विशेषत्र बुलाया. 3 अगस्त को महिला सुरक्षा पर विशेषसत्र बुलाकर न्यायिक जांच कराने का प्रस्ताव पास किया. तीसरा 9 सितंबर को विशेषसत्र बुलाकर अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा में कमी पर दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया. बात-बात में विशेषसत्र बुलाकर दिल्ली सरकार निगम, उपराज्यपाल, दिल्ली पुलिस और अब EVM का डेमो देने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती हैं.
विधानसभा में लंबे समय तक सचिव रहे एसके शर्मा बताते हैं कि दरअसल सत्र खत्म होने के बाद सत्रावसान की इजाजत लेने की फाइल LG को भेजी जाती थी. इसके चलते जब विशेषसत्र बुलाना होता था तो LG की इजाजत जरूरी हो जाती थी, लेकिन ये सरकार विधानसभा अघ्यक्ष के जरिए विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए भंग कर देती है, जिसके चलते वे जब चाहें तब स्पीकर के जरिए विशेषसत्र बुला सकती है. अब इस बात पर बहस तेज हो गई है कि क्या EVM का डेमो दिखाने के लिए विधानसभा का विशेषसत्र बुलाना ठीक था.
दूसरा विधानसभा का विशेष सत्र सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले पर बुलाया गया, जिसमें कहा गया कि दिल्ली के लघु उद्योग को रिहायशी इलाकों से तुरंत बाहर किया जाए. इससे लाखो लोगों की रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया था. विशेषसत्र बुलाकर इसमें भी सुप्रीम कोर्ट से वक्त मांगने का प्रस्ताव पास किया गया.
तीसरा विधानसभा का विशेष सत्र बीजेपी की केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार से कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा का प्रस्ताव पास करके भेजे. उस पर विशेषसत्र बुलाकर प्रस्ताव पास करके भेजा गया था. दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा बताते हैं कि 20 साल में बीजेपी और कांग्रेस के शासन में तीन विशेषसत्र बुलाए गए थे. बाकी संविधान में उल्लेख है कि बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र को बुलाया जाता है. जब आपात स्थिति होती है तभी विशेषसत्र बुलाया जाना चाहिए.
केजरीवाल सरकार ने पिछले साल ही तीन विशेष सत्र बुलाए. आम आदमी पार्टी की सरकार ने पिछले साल 9 जून को निगम के कामकाज पर चर्चा कराने के लिए विशेषत्र बुलाया. 3 अगस्त को महिला सुरक्षा पर विशेषसत्र बुलाकर न्यायिक जांच कराने का प्रस्ताव पास किया. तीसरा 9 सितंबर को विशेषसत्र बुलाकर अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा में कमी पर दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया. बात-बात में विशेषसत्र बुलाकर दिल्ली सरकार निगम, उपराज्यपाल, दिल्ली पुलिस और अब EVM का डेमो देने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती हैं.
विधानसभा में लंबे समय तक सचिव रहे एसके शर्मा बताते हैं कि दरअसल सत्र खत्म होने के बाद सत्रावसान की इजाजत लेने की फाइल LG को भेजी जाती थी. इसके चलते जब विशेषसत्र बुलाना होता था तो LG की इजाजत जरूरी हो जाती थी, लेकिन ये सरकार विधानसभा अघ्यक्ष के जरिए विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिए भंग कर देती है, जिसके चलते वे जब चाहें तब स्पीकर के जरिए विशेषसत्र बुला सकती है. अब इस बात पर बहस तेज हो गई है कि क्या EVM का डेमो दिखाने के लिए विधानसभा का विशेषसत्र बुलाना ठीक था.
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