दिल्ली में करीब 1800 छोटी-बड़ी झुग्गी-झोपड़ी बस्तियां हैं. इनमें 3.5 लाख परिवार रहते हैं. इनमें से 20 लाख मतदाता हैं. अगर हम पूरी दिल्ली की आबादी की तुलना करें, तो ये आंकड़ा करीब 30% होता है. यानी दिल्ली हर चौथा वोटर झुग्गियों में रहता है. ये स्लम वोटर चुनाव में बढ़-चढ़कर वोट भी करता है. दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी? एक तरह से यही वोटर्स तय करते हैं. पिछले चुनाव में स्लम वोटर्स ने ही AAP को सत्ता की चाबी दी थी. फ्री बिजली-पानी के ऐलान से अरविंद केजरीवाल ने 2013-14 में स्लम वोटर को ऐसा साधा कि राज्य में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. BJP भी काफी नुकसान में रही. अब 2025 के चुनाव में AAP, BJP और कांग्रेस ने झुग्गीवालों को फिर से साधना शुरू कर दिया है.
5 फरवरी को दिल्ली की सभी 70 सीटों पर वोटिंग होनी है. 8 फरवरी को नतीजे आएंगे. दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो रहा है. आइए जानते हैं कि दिल्ली के स्लम वोटर्स इस बार किसकी तरफ जाते दिख रहे हैं? झुग्गियों में चुनावी मुद्दे क्या हैं? AAP और BJP ने क्या वादे किए हैं:-
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कहां कितने झुग्गीवासी?
दिल्ली में झुग्गी वोटर्स करीब 20 लाख हैं. सेंट्रल दिल्ली में 48% झुग्गीवासी रहते हैं. पूर्वी दिल्ली में इनकी हिस्सेदारी 23% है. बाहरी दिल्ली में इनकी आबादी 29% हैं. दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र में इनकी सबसे ज्यादा संख्या है. इस इलाके में लगभग 67,000 ऐसे परिवार हैं, जो किसी मलिन बस्ती या झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं. वहीं, पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में ऐसे परिवारों की संख्या मात्र 22,000 के करीब है. दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में 11% से ज्यादा वोटर हैं.
दिल्ली की लड़ाई आखिर झुग्गियों पर क्यों आई?
2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव तक माना जाता है कि दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी के वोटरों के बीच कांग्रेस की एकतरफा पैठ थी. 2013 में आम आदमी पार्टी ने उसके इस वोट बैंक में पहली बार सेंधमारी की. इससे कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. 2015 से झुग्गी के वोटर्स आम आदमी पार्टी के साथ हो गए हैं. 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में झुग्गी बहुल सीटों पर AAP का दबदबा रहा है. 2020 के चुनाव में एक तरह से झुग्गियों ने ही अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता दिलाई थी. CSDS के डेटा के मुताबिक, AAP को 61% स्लम वोट मिले थे. 33% स्लम वोट BJP के खाते में गए थे. इस बार BJP ने दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए झुग्गी वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.
अब झुग्गियों को लेकर राजनीतिक पार्टियां सियासत भी कर रही है. BJP ने जहां झुग्गी वहां मकान का वादा किया है. AAP, BJP जीती तो झुग्गियां तोड़ेगी कैंपेन चला रही है. जबकि कांग्रेस का दावा है कि शीला दीक्षित की सरकार ने झुग्गीवालों के लिए पहली बार मकान बनवाए थे.
केजरीवाल का अमित शाह को चैलेंज
शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह ने झुग्गी बस्ती प्रधान सम्मेलन में कहा था कि हर झुग्गीवालों को BJP पक्का मकान देगी. पूर्व CM अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दिल्ली की शकूर बस्ती से अमित शाह को चैलेंज किया. केजरीवाल ने कहा, "मोदी सरकार ने कई इलाकों की झुग्गी-झोपड़ियां तोड़ी हैं. अगर वह झुग्गीवालों को उसी जमीन पर मकान बनाकर देंगे तो मैं चुनाव नहीं लडूंगा."
केजरीवाल ने BJP से भी कहा कि जिन झुग्गी-बस्ती वालों के केस कोर्ट में चल रहे हैं, आप वापस ले लीजिए. मैं चुनाव न लड़ने की गारंटी देता हूं.
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झुग्गी मतदाता जिधर, जीत उधर
- सेंट्रल दिल्ली की 29 सीटों पर झुग्गी मतदाता हैं. 2020 के चुनाव की बात करें, तो सेंट्रल दिल्ली की झुग्गी बहुल सभी 29 सीटों पर AAP को जीत मिली थी. AAP का वोट शेयर 56% था. BJP का वोट शेयर 38% रहा, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली थी. कांग्रेस को 5% वोट मिले, लेकिन सीट के मामले में झोली खाली रही. 1% वोट अन्य के खाते में गए थे.
-पूर्वी दिल्ली की 20 सीटों पर झुग्गी वोटर्स हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने यहां 16 सीटों पर जीत हासिल की थी. वोट शेयर 52% रहा था. BJP को 6 सीटों पर जीत मिली, वोट शेयर 41% रहा. कांग्रेस को 5% वोट मिले. एक भी सीट नहीं मिली. 2% वोट अन्य के खाते में गए.
-बाहरी दिल्ली की बात करें, तो यहां की 21 सीटों पर झुग्गी मतदाता हैं. 2020 के चुनाव में यहां भी AAP का दमखम दिखा. AAP ने 21 में से 19 सीटों पर जीत पाई. वोट शेयर 53% रहा. BJP को 2 सीटें मिली. उसका वोट शेयर 41% रहा. कांग्रेस को 4% वोट जरूर मिले, लेकिन सीट नहीं मिली. 2% वोट अन्य की झोली में गए.
दिल्ली में सबसे ज्यादा स्लम वोटर्स वाली 10 सीटें का चुनावी हाल
सीट | 2013 | 2015 | 2020 |
मोती नगर | BJP | AAP | AAP |
तुगलकाबाद | BJP | AAP | AAP |
वजीरपुर | BJP | AAP | AAP |
मॉडल टाउन | AAP | AAP | AAP |
आरके पुरम | BJP | AAP | AAP |
कालकाजी | BJP | AAP | AAP |
बादली | CONG | AAP | AAP |
देवली | AAP | AAP | AAP |
जंगपुरा | AAP | AAP | AAP |
राजेंद्र नगर | BJP | AAP | AAP |
झुग्गियों में क्या हैं समस्याएं?
-नल हैं, लेकिन पानी नहीं. पानी के लिए जल निगम के टैंकर पर निर्भर. साफ सफाई की दिक्कतें हैं. कूड़े का ढेर है.
-कचरे के जमा होने से बीमारियों का खतरा रहता है.
-सोशल सिक्योरिटी की कमी.
-अतिक्रमण के नाम पर कच्चे घरों में बुलडोजर चलने का डर.
-झुग्गियों में बुनियादी सुविधाओं की कमी.
-स्कूल, अस्पताल की कमी.
केजरीवाल को क्यों मिल सकता है स्लम वोटर्स का साथ?
-इन झुग्गियों में रहने वाला गरीब वोटर असल में केजरीवाल की ताकत है. दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं का इन्हें काफी लाभ मिला है.
-झुग्गियों में रहने वाली महिलाओं को अब सरकारी बसों का किराया नहीं देना पड़ता. क्योंकि CM रहते केजरीवाल ने महिलाओं को मुफ्त यात्रा का तोहफा दिया था.
- दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में काफी रिफॉर्म किया है. इसका फायदा झुग्गियों में रहने वाले बच्चे उठाते हैं.
-AAP सरकार ने मोहल्ला क्लिनिक बनाकर झुग्गियों में रहने वालों को फ्री हेल्थ फेसिलिटी दी है.
-AAP को लगता है कि 'बढ़ी हुई एंटी-इंकंबेंसी' से हालात बदल सकते हैं. इसलिए पार्टी के हर बड़े नेता उन्हें अपनी कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बता रही है और फिर से वोट देने को कह रही है.
-आम आदमी पार्टी का हर नेता इन मतदाताओं को यही डर दिखा रहा है कि BJP आई तो मुफ्त की ये सारी योजनाएं बंद कर दी जाएंगी. लेकिन अगर AAP फिर से सत्ता में आई, तो ऐसी कई और योजनाएं शुरू की जाएंगी.
BJP की भी कोशिश जारी
-BJP नेताओं का दावा है कि पिछले एक-दो साल में दिल्ली के हालात बदले हैं. ऐसे में अब दिल्ली के वोटर्स बदलाव चाहते हैं. पिछले नगर निगम चुनाव में BJP दिल्ली के करीब आधे वोटर वर्ग का साथ पाने में कामयाब रही थी.
-BJP ने अपनी रणनीति दुरुस्त की और झुग्गी-झोपड़ी के मतदाताओं में अपनी पहुंच स्थापित करने के लिए 'झुग्गी विस्तारक योजना' शुरू कर दी. आगे चलकर BJP को इसमें RSS की भी मदद मिली. इनके कार्यकर्ताओं ने झुग्गी में रहने वालों से घुलने-मिलने के लिए रात्रि-विश्राम जैसे कार्यक्रम चलाए.
-अब BJP ने जहां झुग्गी वहां मकान का वादा भी कर दिया है. ऐसे में BJP को उम्मीद है कि पक्के मकान की आस में स्लम वोटर्स उसकी तरफ झुकेंगे.
कांग्रेस भी मार रही हाथ-पैर
कांग्रेस भी झुग्गी वोटर्स को साधने के लिए हाथ-पैर मार रही है. राहुल गांधी के चुनावी अभियान के आगाज के लिए इसलिए सीलमपुर को चुना गया. यहां झुग्गी-झोपड़ियां और अनिधिकृत कॉलोनियां हैं. इन बस्तियों में रहने वालों में बड़ी तादाद दलितों, पिछड़ों और समाज के निचले तबकों की है. इसलिए कांग्रेस सांसद की इस रैली का नाम 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' रखा है. पार्टी ने अपने पूर्व विधायक और दलित चेहरे वीर सिंह धिंगन और AAP के पूर्व विधायक राजेंद्र गौतम को इस वोट बैंक की वजह से अपने साथ जोड़ा है.
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