दिल्ली वायु प्रदूषण: पर्यावरणविद् बोले- सालभर के सामूहिक प्रयास पर नहीं, मौसमी कार्रवाई पर जोर

पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने कहा, ‘‘सामूहिक इच्छा और कार्रवाई के बजाय पूरे साल ग्रेप जैसी मौसमी कार्य योजनाओं पर बहुत अधिक जोर दिया जा रहा है. हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि हम पूरे साल ‘खराब’ वायु गुणवत्ता में सांस ले रहे हैं.’’

नई दिल्‍ली :

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) के शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकारियों को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' (Graded Response Action Plan) के चरण तीन के तहत प्रतिबंधों को तुरंत लागू करने के निर्देश दिये जाने के बाद पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि ‘‘मौसमी'' कार्य योजनाओं पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन सालभर के सामूहिक प्रयासों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' से ‘गंभीर' श्रेणी में पहुंचने की कगार पर है. इन पाबंदियों के तहत निर्माण, विध्वंस और खनन समेत अन्य गतिविधियों पर रोक लगेगी, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, रेलवे और मेट्रो समेत अन्य आवश्यक परियोजनाओं को इससे छूट होगी. 

सीएक्यूएम ने कहा कि अधिकारी वायु गुणवत्ता के खराब होने के मद्देनजर एनसीआर में बीएस-तीन पेट्रोल और बीएस-चार डीजल वाले चार पहिया वाहनों पर रोक लगा सकते हैं. 

पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने कहा, ‘‘सामूहिक इच्छा और कार्रवाई के बजाय पूरे साल ग्रेप जैसी मौसमी कार्य योजनाओं पर बहुत अधिक जोर दिया जा रहा है. हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि हम पूरे साल ‘खराब' वायु गुणवत्ता में सांस ले रहे हैं.''

कंधारी ने बताया कि आयोग ने एनसीआर में ग्रेप लागू किया, लेकिन पूरे वर्ष भर में ‘‘निर्माण परियोजनाओं या पेड़ों की कटाई के मामले में हस्तक्षेप नहीं किया.''

उन्होंने कहा, ‘‘इतने कम समय में ग्रेप से कोई चमत्कार नहीं होना वाला है और इसके लिए पूरे साल प्रभावी नीतियों और उपायों की जरूरत होती है.''

‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर' के एक विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि सीएक्यूएम द्वारा ग्रेप के विभिन्न चरणों की घोषणाएं जमीन पर की गई कार्रवाई के साथ मेल नहीं खाती है.

दहिया ने कहा, ‘‘सीएक्यूएम एक निकाय है जिसके पास प्रदूषणकारी गतिविधियों को नियंत्रित करने और बंद करने तथा दंडित करने का अधिकार होता है लेकिन अफसोस की बात है कि प्रदूषण से निपटने के लिए प्रभावी ढंग से नहीं निपटा जाता है.''

दिल्ली में 24 घंटों का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक अपराह्न चार बजे 397 था जो जनवरी के बाद से सबसे खराब स्तर है. इसके पहले दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक सोमवार को 312, मंगलवार को 302, बुधवार को 271 और बृहस्पतिवार को 354 था.

राजधानी और इसके आसपास के इलाके में हालात की गंभीरता के मद्देनजर ग्रेप प्रदूषण निरोधक कदम उठाने के लिए तैयार है. 

दिल्ली-दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है. शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा', 51 से 100 के बीच को ‘संतोषजनक', 101 से 200 को ‘मध्यम', 201 से 300 को ‘खराब', 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब' तथा 401 से 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर' माना जाता है.

निर्माण और विध्वंस गतिविधि पर पाबंदी का मतलब होगा कि जमीन की खुदाई और बोरिंग नहीं होगी. इसी तरह वेल्डिंग, निर्माण सामग्री की लदान या इसे उतारने और राख समेत कच्चे माल के परिवहन आदि पर पाबंदी लगेगी. 

एनसीआर प्रशासन को कहा गया है कि उन उद्योगों को बंद कराएं जो औद्योगिक क्षेत्र में पीएनजी का आधारभूत ढांचा और आपूर्ति होने के बावजूद स्वीकृत ईंधन से संचालित नहीं हो रहे हैं. 

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