अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों को सफलता का मंत्र बताते हुए किसी भी काम को पूरी लगन और ईमानदारी से करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से वे उसके विशेषज्ञ बन जाएंगे. हर साल 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे मकसद के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, "आज समाज में एक अजीब मानसिकता विकसित हो गई है. यहां तक कि स्कूल भी अपनी सफलता को छात्रों की रैंकिंग से मापते हैं. परिवार भी गर्व महसूस करते हैं, जब उनका बच्चा उच्च रैंक हासिल करता है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी शैक्षिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होता है. इस मानसिकता के कारण बच्चों पर दबाव बढ़ गया है. बच्चों को भी लगने लगा है कि उनका पूरा जीवन 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं पर निर्भर करता है."
पीएम मोदी ने बताया, "नई शिक्षा नीति के तहत हम इसमें कई बदलाव लाए हैं. लेकिन जब तक ये बदलाव जमीन पर नहीं आते, मुझे एक और जिम्मेदारी महसूस होती है. यह मेरा कर्तव्य है कि मैं उनकी बात सुनूं, उन्हें समझूं और उनका बोझ कम करूं. एक तरह से, जब मैं 'परीक्षा पे चर्चा' करता हूं, तो मुझे सीधे छात्रों से जानकारी मिलती है, उनके माता-पिता की मानसिकता समझ में आती है, साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में लोगों के दृष्टिकोण भी समझ में आते हैं. इसलिए ये चर्चाएं सिर्फ छात्रों को ही नहीं, बल्कि मुझे भी फायदा पहुंचाती हैं."
A wonderful conversation with @lexfridman, covering a wide range of subjects. Do watch! https://t.co/G9pKE2RJqh
— Narendra Modi (@narendramodi) March 16, 2025
लर्निंग टेक्निक के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने अपने बचपन का एक किस्सा याद किया. उन्होंने बताया, "मैंने बचपन में एक अध्यापक को रचनात्मक विचार का उपयोग करते हुए देखा. उन्होंने मेज पर एक डायरी रखी और कहा, 'जो भी सुबह सबसे पहले आएगा, वह इस डायरी में अपने नाम के साथ एक वाक्य लिखेगा.' फिर अगले छात्र को एक संबंधित वाक्य लिखना होगा. मैं पहला वाक्य लिखने के लिए बहुत जल्दी स्कूल जाने लगा.
मैंने एक बार कुछ ऐसा लिखा, 'आज का सूर्योदय शानदार था. इसने मुझे ऊर्जा से भर दिया.' मैं अपना नाम लिखता था और मेरे बाद आने वाले को भी सूर्योदय से जुड़ा कुछ लिखना होता था. कुछ दिनों के बाद, मुझे एहसास हुआ कि इससे मेरी रचनात्मकता में बहुत सुधार नहीं हो रहा है. क्यों? क्योंकि मैं पहले से ही मन में तय विचार लेकर आया था और बस उसे लिख देता था. इसलिए मैंने तय किया कि मैं सबसे आखिर में जाना शुरू करूंगा. फिर जो हुआ वह यह था कि मैंने पहले दूसरों द्वारा लिखे गए लेख पढ़े और फिर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की."
उन्होंने बताया, "इसके परिणामस्वरूप, मेरी रचनात्मकता और भी बेहतर होने लगी. कभी-कभी शिक्षक ऐसी छोटी-छोटी सरल गतिविधियां करते हैं जो आपके जीवन को बहुत प्रभावित करती हैं. संगठनात्मक कार्य में मेरी अपनी पृष्ठभूमि के साथ इन अनुभवों ने मानव संसाधन विकास को मेरे फोकस का एक प्रमुख क्षेत्र बना दिया. इसलिए मैं हर साल एक या दो बार कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों से जुड़ता हूं और समय के साथ, इन प्रयासों के परिणामस्वरूप एक किताब तैयार हुई है जो हजारों बच्चों को लाभान्वित कर रही है."
छात्रों को अपने जीवन में सफल होने के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा, "मेरा मानना है कि आपको जो भी काम मिले, अगर आप उस काम को पूरी लगन और ईमानदारी से करते हैं, तो वे निश्चित रूप से जल्दी या बाद में विशेषज्ञ बन जाते हैं और उनकी बढ़ी हुई क्षमताएं सफलता के द्वार खोलती हैं. काम करते समय, व्यक्ति को अपने कौशल को सुधारने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए और सीखने की अपनी क्षमता को कभी कम नहीं आंकना चाहिए."
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