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This Article is From Sep 29, 2021

दिल्ली के एक सरकारी स्कूल को रातोंरात DDA ने बताया अवैध, गिराने का दिया आदेश

राजकीय प्रतिभा स्कूल में बड़ी तादाद में गरीब मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं. इस स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड तक नहीं है, जबकि पीछे डीडीए की पांच एकड़ जमीन कम्यूनिटी सेंटर के नाम पर खाली पड़ी है.

नांगलोई में बने करीब 60 साल पुराने एक सरकारी स्कूल को डीडीए अवैध बता रहा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए ने दिल्ली के एक सरकारी स्कूल को ही रातोंरात अवैध अतिक्रमण घोषित कर गिराने के आदेश दे दिया, जिससे स्कूल में पढ़ने वाले 2000 बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ गया है. अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि डीडीए भूमाफियाओं से अपनी जमीन बचाने के बजाए सरकारी स्कूल को गिराकर जमीन क्यों लेना चाहती है? दरअसल, नांगलोई के सैय्यद गांव में बने करीब 60 साल पुराने एक सरकारी स्कूल को अब डीडीए अवैध बता रहा है. इस इलाके का एक मात्र सरकारी राजकीय प्रतिभा स्कूल को अवैध ठहराकर डीडीए अब इसे गिराना चाहती है.

इस स्कूल में पढ़ चुके 55 साल के थान सिंह ने NDTV को स्कूल के पुराने कागजात दिखाए. 1960 में उनके दादा नांगलोई के सैय्यद गांव के प्रधान थे. पंचायत ने प्रस्ताव पास करके तीन बीघा जमीन सरकारी स्कूल के लिए दी थी. लेकिन 1980 में डीडीए ने गांव की जमीन अधिग्रहित कर ली. उनका आरोप है कि स्कूल एक बीघा में बना है, जबकि दो बीघा जमीन डीडीए ने सड़क के लिए ले लिया. NDTV से बात करते हुए थान सिंह ने कहा कि, ‘हमारे इस स्कूल को 1963 में ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पास करके जमीन को शिक्षा विभाग को दिया था. 1980 के बाद आया डीडीए अब इसे अपना बता रहा है.'

राजकीय प्रतिभा स्कूल में बड़ी तादाद में गरीब मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं. इस स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड तक नहीं है, जबकि पीछे डीडीए की पांच एकड़ जमीन कम्यूनिटी सेंटर के नाम पर खाली पड़ी है. अब स्कूल के आधारभूत ढ़ांचे को बढ़ाने के बजाए स्कूल को गिराने के नोटिस से शिक्षक भी हैरान हैं. राजकीय प्रतिभा स्कूल के शिक्षक नंद किशोर नारायण ने NDTV से बात करते हुए कहा, ‘डीडीए का नोटिस आया है कि स्कूल को गिरा देंगे. ऐसे में दो हजार बच्चे कहां जाएंगे? ये तो सरकार को सोचना चाहिए?'

वहीं, डीडीए का दावा है कि स्कूल कम्यूनिटी सेंटर की जमीन पर बना है. हालांकि, डीडीए ने ऑन कैमरा NDTV पर इस संबंध में कुछ कहने से इनकार कर दिया है. डीडीए का कहना है कि अब वो नए सिरे से इस जमीन का सर्वे करा रहे हैं. लेकिन जब NDTV संवाददाता ने डीडीए की वेबसाइट पर जाकर इस जमीन के बारे में जानकारी लेनी चाही, तो पता चला कि खसरा नंबर के आगे कुछ लिखा ही नहीं है. बता दें कि, दिल्ली में डीडीए की 4000 एकड़ जमीन पर अवैध अतिक्रमण है. इसी के चलते डीडीए अब जीपीएस तकनीक से अपनी जमीन को खोज रही है, ताकि उसका व्यवसायिक उपयोग करके आमदनी को बढ़ाया जा सके.

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