प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
दारुल उलूम देवबंद ने एक फतवा दिया है कि मुस्लिम औरतों का चूड़ी की दुकान पर पराए मर्दों से चूड़ी पहनना गैर इस्लामिक है. फतवे में कहा गया है कि जो महिलाएं बाजार में पराए मर्दों के हाथों से चूड़ियां पहनती हैं, वह गुनाह है. इस बारे में शौहर ने मुफ्ती की राय मांगी थी. देश में कई करोड़ लोग चूड़ी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. इनका कहना है कि अगर यह फतवा लागू हो जाए तो उनका कारोबार बंद हो जाएगा. क्योंकि यह काम 99 फीसदी मर्दी ही करते हैं.
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इस संबंध में मौलाना अबुल इरफान मियां फिरंगीमहली ने कहा, “एक औरत जब गैर मर्दों को हाथ पकड़ाएगी और वो हाथ पकड़ के चाहे वो किसी भी बारे में क्यों ना हो. यह हाथ, यह पैर, यह आंखे. यह बहुत खतरनाक है. यह मिनटों में आदमी को कहीं से कहीं पहुंचा देती हैं. इसलिए शरियत ने मना किया है कि जो देनदार मुस्लिम औरतें हैं उनको इन कामों से एहतियात बरतनी चाहिए.
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वहीं, चूड़ी बेचने वाली रजिया बेगम का कहना है, “औरत अगर चूड़ी पहनाएगी तो बच्चे कौन पालेगा, आदमी क्या करेंगे? हमारे आदमियों का भी यही काम है. हम लोगों की रोजी-रोटी यही है. इसी वजह से आदमी लोग खड़े हैं, औरतें नहीं खड़ी हो पाती हैं.
VIDEO:'भारत माता की जय' ग़ैर इस्लामी? दारुल-उलूम के फ़तवे पर विवाद
हालांकि, फतवे में ये भी कहा गया है कि चूड़ियां पहनना गलत नहीं है. लेकिन वो किसी गैर मर्द के हाथों से न पहनी जाएं.
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वहीं, चूड़ी बेचने वाली रजिया बेगम का कहना है, “औरत अगर चूड़ी पहनाएगी तो बच्चे कौन पालेगा, आदमी क्या करेंगे? हमारे आदमियों का भी यही काम है. हम लोगों की रोजी-रोटी यही है. इसी वजह से आदमी लोग खड़े हैं, औरतें नहीं खड़ी हो पाती हैं.
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हालांकि, फतवे में ये भी कहा गया है कि चूड़ियां पहनना गलत नहीं है. लेकिन वो किसी गैर मर्द के हाथों से न पहनी जाएं.
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