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फ्लैट बेची, बैंक से लोन भी लिया... बेंगलुरु में साइबर फ्रॉड की ये कहानी आपको हिला देगी

साइबर अपराधियों ने 57 वर्षीय एक महिला को कथित रुप से ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर उससे 2.05 करोड़ रुपये से अधिक की रकम ठग ली.

  • बेंगलुरु की एक महिला को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर दो करोड़ पांच लाख रुपये से अधिक की ठगी की.
  • ठगों ने महिला को पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिए धमकाया और संपत्तियां बेचने के लिए मजबूर किया.
  • महिला ने डर के कारण अपनी दो भूखंड और एक अपार्टमेंट बेचकर बैंक से कर्ज लेकर रकम जालसाजों को भेजी.
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आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलुरु से साइबर अपराध की एक ऐसी भयावह कहानी सामने आई है, जो तकनीक की दुनिया में छिपे खतरों का एक कड़वा सबक है. यह मामला सिर्फ पैसे के नुकसान का नहीं है, बल्कि यह बताता है कि कैसे साइबर ठग किसी इंसान के दिमाग पर पूरी तरह हावी हो सकते हैं. इस केस में, ठगों के जाल में फंसी एक महिला ने न केवल अपनी सारी संपत्तियां बेच डालीं, बल्कि अंत में बैंक से भारी-भरकम कर्ज भी ले लिया.

यह घटना हर किसी के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि डिजिटल दुनिया में एक क्लिक या एक कॉल कैसे जीवन भर की बचत और मानसिक शांति को तबाह कर सकता है. यह कहानी हमें सिखाती है कि साइबर क्राइम से बचने के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है.

'डिजिटल अरेस्ट' का खेल और 2.05 करोड़ रुपये की ठगी

कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हुए साइबर अपराधियों ने 57 वर्षीय एक महिला को कथित रुप से ‘डिजिटल अरेस्ट' कर उससे 2.05 करोड़ रुपये से अधिक की रकम ठग ली. 'डिजिटल अरेस्ट' साइबर धोखाधड़ी का एक रूप है जिसमें धोखेबाज कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में पेश आते हैं और ऑडियो या वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को धमकाते हैं एवं उन्हें ऑनलाइन पैसे भेजने के लिए मजबूर करते हैं.

पुलिस ने बताया कि जालसाजों ने अपनी मांगें मंगवाने के लिए महिला को कई संपत्तियां बेचने और बैंक से ऋण लेने के लिए भी मजबूर किया. पुलिस के अनुसार, यह अपराध 19 जून से 27 नवंबर के बीच हुआ था.

अज्ञात नंबर से कॉल, फिर शुरू हुआ ठगी का खेल

शिकायत के अनुसार, 19 जून, 2025 को महिला को एक अज्ञात नंबर से कॉल आयी. फोन करने वाले व्यक्ति ने महिला से कहा कि वह ‘ब्लू डार्ट' कूरियर कंपनी से है और उसके आधार कार्ड से जुड़े एक सामान में मादक पदार्थ मिला है और मुंबई पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी.

इसके बाद फोन करने वाले ने महिला को एक ऐप इंस्टॉल करने का निर्देश दिया और नियमित रूप से वीडियो कॉल करने लगा. प्राथमिकी में कहा गया है कि पहले सप्ताह में उन्होंने वीडियो और व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से लगातार उसकी निगरानी की. आरोपी वीडियो कॉल में पुलिस वर्दी में नजर आता था और वह निरीक्षक और पुलिस उपायुक्त होने का दावा करता था.

पुलिस ने बताया कि आरोपी कई अज्ञात मोबाइल नंबरों से शिकायतकर्ता से संपर्क करने लगा और धमकी दी कि भुगतान न करने पर उसके बेटे की जान को खतरा होगा. प्राथमिकी के अनुसार गिरफ्तारी और परिवार को नुकसान पहुंचने के डर से शिकायतकर्ता ने पैसे जुटाने के लिए मालूर में दो भूखंड कम कीमत पर बेच दिए, विग्नान नगर में एक अपार्टमेंट बेच दिया और एक निजी बैंक से कर्ज भी लिया. इस पूरी रकम को महिला ने आरोपी को भेज दिया.

प्राथमिकी के अनुसार, 20 जून से महिला ने 2,05,16,652 रुपये आरोपी को भेजे. पुलिस का कहना है कि महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है.

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