जगमति सांगवान महिला अधिकारों के लिए और खाप पंचायत के फतवों के खिलाफ लड़ती रही हैं
नई दिल्ली:
सीपीएम की ताकतवर इकाई सेंट्रल कमेटी की 3 दिन की बैठक के बाद बंगाल चुनावों पर बहस का नतीजा कुछ खास नहीं निकला लेकिन 30 साल से पार्टी के लिये काम कर रही एक कॉमरेड को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हरियाणा कमेटी की सदस्य और सेंट्रल कमेटी की मेंबर जगमति सांगवान ने बंगाल चुनावों में सीपीएम सेंट्रल कमेटी के प्रस्ताव का विरोध किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कांग्रेस के साथ गठजोड़ की रणनीति पार्टी की लाइन से मेल नहीं खाती। जगमति का कहना था कि प्रस्ताव में कांग्रेस से गठजोड़ को पार्टी लाइन का उल्लंघन कहा जाना था। उनके मुताबिक हल्के शब्द का इस्तेमाल कर बंगाल में हुई गलती को छुपाने की कोशिश हो रही थी।
इस बात से नाराज़ होकर जगमति सांगवान सेंट्रल कमेटी की बैठक से बाहर आ गई और मीडिया से कहा कि वह पार्टी में सभी पदों और अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे रही हैं। जगमति ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि ‘पार्टी की पॉलिटिकल टैक्टिकल लाइन तो किसी भी कम्युनिस्ट पार्टी की जान होती है। जब बंगाल के साथियों ने उस लाइन का उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिये। उन्हें क्यों बचाया जा रहा है।’
सांगवान के मीडिया में दिये गये बयान के थोड़ी ही देर बाद सीपीएम ने आधिकारिक बयान जारी किया और कहा कि जगमति को ‘घोर अनुशासनहीनता’ की वजह से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाला जा रहा है।
जगमति सांगवान पार्टी में 1986 से हैं। अभी वह सेंट्रल कमेटी का सदस्य होने के साथ साथ अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (आइडवा) की महासचिव भी थीं। इस बात पर हैरानी जताई जा रही है कि सीपीएम ने बिना सफाई देने का मौका दिये सांगवान को पार्टी से निकाल दिया। आमतौर पर कम्युनिस्ट पार्टी में ‘अनुशासनहीनता’ पर पार्टी के सामने पक्ष रखने का एक मौका दिया जाता है। इससे पहले 2008 में सोमनाथ चटर्जी को पार्टी ने निकाला था तो उन्हें सफाई देने का पूरा मौका दिया गया था।
पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने पत्रकारों से कहा, ‘सांगवान को सिर्फ इसलिये नहीं निकाला गया क्योंकि उन्होंने बंगाल पर पार्टी के प्रस्ताव का विरोध किया बल्कि इसलिये भी क्योंकि वह पार्टी की कार्यवाही के दौरान अचानक खड़ी हो गईं और अपने इस्तीफे का ऐलान करने लगीं। मानिक सरकार और मैंने उनसे बैठ जाने और पहले उस मुद्दे के निबट जाने का इंतजार करने को कहा जिस पर बात हो रही थी लेकिन वह यहां से चली गई और बाहर जाकर प्रेस में बयान दिया। ये घोर अनुशासनहीनता है।’
जगमति सांगवान ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि जिस वक्त उन्होंने विरोध किया तब कमेटी प्रस्ताव पर ही चर्चा कर रही थी और उन्होंने प्रस्ताव से ‘उल्लंघन’ शब्द हटाने का विरोध किया। सूत्रों के मुताबिक सांगवान के खिलाफ तुरंत हुई कार्रवाई से पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य नाराज़ हैं। सांगवान के पार्टी ऑफिस से जाने के बाद वरिष्ठ पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, सेंट्रल कमिटी सदस्य पुष्पेंद्र ग्रेवाल के साथ उनसे मिलने गईं। उसके तुरंत बाद ही पार्टी ऑफिस में जगमति को निकाले जाने का आधिकारिक बयान जारी हुआ।
सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, ‘फैसला नियमों के मुताबिक हुआ है क्योंकि उस समय सेंट्रल कमेटी की बैठक चल रही थी इसलिये जगमति सांगवान को निकाले जाने का फैसला सेंट्रल कमेटी ने लिया है जो पार्टी की सबसे बड़ी इकाई है।’ पार्टी में कई नेताओं का कहना है कि सांगवान ने काफी भावुक होकर फैसला लिया, जोकि ठीक नहीं था।
जगमति सांगवान महिला अधिकारों के लिये और खाप पंचायत के फतवों के खिलाफ लड़ती रही हैं। वह नेशनल वॉलीबॉल टीम की सदस्य रह चुकी हैं। उनके पति और बेटी दोनों सीपीएम के सदस्य हैं। पार्टी छोड़ने के बाद सांगवान ने कहा कि सीपीएम से उनका रिश्ता बहुत पुराना है। वह महिला अधिकारों और जनवादी मुद्दों के लिये काम करती रहेंगी लेकिन किसी दूसरी पार्टी से जुड़ने की बात नहीं सोची है।
जगमति ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी से भी नहीं जुड़ेंगी क्योंकि वहां महिलाओं औऱ महिला अधिकारों के लिये कोई जगह नहीं है। सांगवान को भले ही सीपीएम ने निकाल दिया पर जो सवाल उन्होंने उठाया है वह बना हुआ है। सीपीएम ने क्या ‘पार्टी लाइन’ का ‘उल्लंघन’ करने वाले कॉमरेडों को बचाने के लिये समझौता किया?
इस बात से नाराज़ होकर जगमति सांगवान सेंट्रल कमेटी की बैठक से बाहर आ गई और मीडिया से कहा कि वह पार्टी में सभी पदों और अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे रही हैं। जगमति ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि ‘पार्टी की पॉलिटिकल टैक्टिकल लाइन तो किसी भी कम्युनिस्ट पार्टी की जान होती है। जब बंगाल के साथियों ने उस लाइन का उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिये। उन्हें क्यों बचाया जा रहा है।’
सांगवान के मीडिया में दिये गये बयान के थोड़ी ही देर बाद सीपीएम ने आधिकारिक बयान जारी किया और कहा कि जगमति को ‘घोर अनुशासनहीनता’ की वजह से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाला जा रहा है।
जगमति सांगवान पार्टी में 1986 से हैं। अभी वह सेंट्रल कमेटी का सदस्य होने के साथ साथ अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (आइडवा) की महासचिव भी थीं। इस बात पर हैरानी जताई जा रही है कि सीपीएम ने बिना सफाई देने का मौका दिये सांगवान को पार्टी से निकाल दिया। आमतौर पर कम्युनिस्ट पार्टी में ‘अनुशासनहीनता’ पर पार्टी के सामने पक्ष रखने का एक मौका दिया जाता है। इससे पहले 2008 में सोमनाथ चटर्जी को पार्टी ने निकाला था तो उन्हें सफाई देने का पूरा मौका दिया गया था।
पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने पत्रकारों से कहा, ‘सांगवान को सिर्फ इसलिये नहीं निकाला गया क्योंकि उन्होंने बंगाल पर पार्टी के प्रस्ताव का विरोध किया बल्कि इसलिये भी क्योंकि वह पार्टी की कार्यवाही के दौरान अचानक खड़ी हो गईं और अपने इस्तीफे का ऐलान करने लगीं। मानिक सरकार और मैंने उनसे बैठ जाने और पहले उस मुद्दे के निबट जाने का इंतजार करने को कहा जिस पर बात हो रही थी लेकिन वह यहां से चली गई और बाहर जाकर प्रेस में बयान दिया। ये घोर अनुशासनहीनता है।’
जगमति सांगवान ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि जिस वक्त उन्होंने विरोध किया तब कमेटी प्रस्ताव पर ही चर्चा कर रही थी और उन्होंने प्रस्ताव से ‘उल्लंघन’ शब्द हटाने का विरोध किया। सूत्रों के मुताबिक सांगवान के खिलाफ तुरंत हुई कार्रवाई से पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य नाराज़ हैं। सांगवान के पार्टी ऑफिस से जाने के बाद वरिष्ठ पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, सेंट्रल कमिटी सदस्य पुष्पेंद्र ग्रेवाल के साथ उनसे मिलने गईं। उसके तुरंत बाद ही पार्टी ऑफिस में जगमति को निकाले जाने का आधिकारिक बयान जारी हुआ।
सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, ‘फैसला नियमों के मुताबिक हुआ है क्योंकि उस समय सेंट्रल कमेटी की बैठक चल रही थी इसलिये जगमति सांगवान को निकाले जाने का फैसला सेंट्रल कमेटी ने लिया है जो पार्टी की सबसे बड़ी इकाई है।’ पार्टी में कई नेताओं का कहना है कि सांगवान ने काफी भावुक होकर फैसला लिया, जोकि ठीक नहीं था।
जगमति सांगवान महिला अधिकारों के लिये और खाप पंचायत के फतवों के खिलाफ लड़ती रही हैं। वह नेशनल वॉलीबॉल टीम की सदस्य रह चुकी हैं। उनके पति और बेटी दोनों सीपीएम के सदस्य हैं। पार्टी छोड़ने के बाद सांगवान ने कहा कि सीपीएम से उनका रिश्ता बहुत पुराना है। वह महिला अधिकारों और जनवादी मुद्दों के लिये काम करती रहेंगी लेकिन किसी दूसरी पार्टी से जुड़ने की बात नहीं सोची है।
जगमति ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी से भी नहीं जुड़ेंगी क्योंकि वहां महिलाओं औऱ महिला अधिकारों के लिये कोई जगह नहीं है। सांगवान को भले ही सीपीएम ने निकाल दिया पर जो सवाल उन्होंने उठाया है वह बना हुआ है। सीपीएम ने क्या ‘पार्टी लाइन’ का ‘उल्लंघन’ करने वाले कॉमरेडों को बचाने के लिये समझौता किया?
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