कोरोना वायरस की महामारी (Pandemic) अगले एक-डेढ़ साल में 15 करोड़ लोगों को गरीबी की गहरी खाई में धकेल देगी. विश्व बैंक (World Bank) ने बुधवार को यह चेतावनी जारी की है. दरअसल, महामारी के दौरान करोड़ों की संख्या में लोगों ने रोजगार खोए हैं.
विश्वबैंक ने कहा कि सभी देशों को महामारी के बाद की चुनौतियों के मुकाबले के लिए अर्थव्यवस्था को नए सिरे से शक्ल देनी होगी. इसमें पूंजी, श्रम, कौशल और इनोवेशन को नए क्षेत्रों और कारोबार तक ले जाने की जरूरत होगी. संगठन ने अनुमान लगाया कि कोविड-19 के कारण 2020 में 8.8 करोड़ से 11.5 करोड़ अतिरिक्त लोगों के अत्यधिक गरीबी के दायरे में आ जाएंगे. वर्ष 2021 तक यह तादाद बढ़कर 15 करोड़ तक पहुंच सकती है. संगठन ने आगाह किया कि गरीबी किस हद तक मार करेगी, यह उस देश की आर्थिक गिरावट की रफ्तार पर निर्भर करेगा. अगर महामारी नहीं आती तो 2020 में अत्यधिक गरीब लोगों की संख्या कम होकर 7.9 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान था.
पहले ही दुर्दिन झेल रहे देशों में गरीबी और बढ़ेगी
रिपोर्ट में कहा गया कि जिन देशों में पहले से ही गरीबी दर अधिक है, उन्हीं देशों में नए गरीबों की संख्या ढ़ने वाली है. कई मध्यम आय वाले देशों में भी बड़ी संख्या में लोग अति निर्धन की श्रेणी में आ जाएंगे. विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा कि महामारी और मंदी से वैश्विक आबादी के 1.4 प्रतिशत से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे.
अगले दशक में गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य पाना मुश्किल
विश्व बैंक ने कहा कि महामारी, वैश्विक संघर्षों और पर्यावरण में जलवायु परिवर्तन समेत जैसे कारणों से 2030 तक गरीबी को खत्म करने का लक्ष्य पाना मुश्किल लग रहा है. लिहाजा 2030 तक वैश्विक गरीबी दर सात प्रतिशत के आस पास रहने का अनुमान है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं