Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी की वजह से देश में कई दफ्तर बंद हैं और लोग घरों से काम कर रहे हैं. अब ऐसी रिपोर्टें भी आ रही हैं जिनके अनुसार आने वाले दिनों में वर्क फ्रॉम होम (Work from home) का चलन बढ़ेगा, यानी ऑफिस स्पेस की मांग में कमी आएगी. फार्मास्युटिकल कंपनी में काम करने वाले राजेश चौगुले को लॉकडाउन ने घर पर बैठा दिया है. इनके यहां 20 लोग काम करते थे पर अब इन्हें कहा गया कि दीवाली तक कुछ नहीं होने वाला..इनका बेटा फ़ाइनल ईयर में पढ़ाई कर रहा है, ऐसे में अब कमाई के लिए राजेश सुबह अख़बार बांट रहे हैं. राजेश बताते हैं, '10 हज़ार रुपये सैलरी में मिलते थे जिससे बच्चे का पढ़ाई हो जाती थी.अब क्या होगा पता नहीं, घर खर्च के लिए अखबार बांटता हूं लेकिन इससे खर्च कैसे निकलेगा पता नहीं.'
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लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से देशभर में बेरोज़गारी बढ़ी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार अप्रैल महीने में देशभर में बेरोज़गारी दर (Unemployment Rate)23 फीसदी से ज़्यादा थी. इसकी रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दिनों में लोग घरों से ही काम करेंगे और दफ्तरों की मांग में कमी आएगी जिसका असर 25 से 30 फीसदी रोजगार पर पड़ेगा. इसके अनुसार, दफ्तरों की मांग में कमी का असर केवल कर्मचारियों पर ही नहीं, बल्कि इमारतों से जुड़े सिक्योरिटी गार्ड, लिफ्टमैन, सफाई कर्मचारियों के साथ ही दफ्तरों के बाहर मौजूद चाय और दूसरे कई चीजों के दुकानों और इनके कर्मचारियों पर भी पड़ेगा.
कोरोना महामारी और आर्थिक मंदी के चलते रियल एस्टेट में आने वाले सुस्ती का असर लोगों की जेब के साथ सरकारी तिजोरी पर भी पड़ेगा. रियल इस्टेट का जीडीपी में 6.1 फीसदी योगदान है. तकरीबन 2 करोड़ 20 लाख लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला है और ये क्षेत्र 1.10 लाख करोड़ रुपये बतौर टैक्स देता है लेकिन इसमें आई् सुस्ती का भी व्यापक असर होगा.
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