
कोरोना वायरस (Coronavirus) के ओमिक्रॉन स्वरूप (Omicron Variant) के मामले में कोविशील्ड, कोवैक्सीन और दोनों के मिश्रण की खुराक ले चुके लोगों में एंटीबॉडी का स्तर छह महीने के बाद घटने लगता है. राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे के एक अध्ययन से यह संकेत मिला है. एनआईवी में वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि डेल्टा और अन्य चिंताजनक स्वरूप के मामले में पहली खुराक में कोविशील्ड और दूसरी खुराक में कोवैक्सीन दिए जाने पर अच्छे नतीजे मिले. अध्ययन के निष्कर्ष जर्नल ऑफ ट्रैवल मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं.
अध्ययन के तहत तीन श्रेणियों में टीके के प्रभाव का आकलन किया गया और परीक्षण के तहत सभी लोगों की करीबी तौर पर निगरानी की गई.
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अध्ययन से पता चला कि ओमिक्रॉन के मामले में टीकाकरण उपरांत बनी प्रतिरोधी क्षमता छह महीने बाद कमजोर होने लगी. इससे टीकाकरण रणनीति में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है.
भारत ने 10 जनवरी से स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को कोविड -19 रोधी टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया है. साथ ही देश में 12-14 साल के बच्चों का टीकाकरण 16 मार्च से शुरू हुआ.
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