नई दिल्ली:
गुजरात का लोकायुक्त नियुक्त किए जाने के वहां की राज्यपाल के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा बुधवार को खारिज कर दिए जाने पर भाजपा ने दावा किया कि इस निर्णय में मंत्रिमंडल की सर्वोच्चता को स्वीकार करना उसके रुख की जीत है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस द्वारा इस निर्णय को खुद की जीत बताना ‘निराशा का रोना रोने’ के अलावा और कुछ नहीं है।’’ हर बात का राजनीतिकरण करने को अच्छी बात नहीं बताते हुए उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में माना है कि राज्य के मंत्रिमंडल को उसका उचित महत्व दिया जाना चाहिए।
मंत्रिमंडल की सर्वोच्चता को स्वीकार किया जाना फैसले का सबसे अहम बिंदु है।
उनके अनुसार अदालत ने मंत्रिमंडल की सर्वोच्चता को स्वीकार करते हुए कहा है कि चूंकि राज्यपाल ने गुजरात के लोकपाल की नियुक्ति करदी है, इसलिए वह उसे जारी रखती है।
प्रसाद ने कहा कि अभी निर्णय की प्रति नहीं मिली है, इसलिए फैसले को पूरी तरह जाने बिना टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि निर्णय की प्रति मिलने के बाद ही भाजपा अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया देगी।
उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक बड़े फैसले में गुजरात सरकार को बड़ा झटका देते हुए राज्यपाल कमला बेनीवाल की ओर से लोकायुक्त के तौर पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरए मेहता की नियुक्ति को बरकरार रखा है।
अपने निर्णय में शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की अनुशंसा के अनुसार कार्य करने को बाध्य हैं लेकिन यहां न्यायमूर्ति मेहता की नियुक्ति उचित है क्योंकि इसे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से विचार-विमर्श करके किया गया था।
उधर, इस फैसले से प्रसन्न कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार से लड़ने के बारे में वे अनिच्छुक हैं और उनका दोहरा चेहरा है। उसने भाजपा पर दोमुंही बातें करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल केन्द्र में तो लोकपाल चाहता है लेकिन अपनी पार्टी के शासन वाले राज्य गुजरात में इसका विरोध करता है।
भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि इस फैसले पर खुशियां मना रही कांग्रेस यह बताए कि दिल्ली सरकार के मंत्री राजकुमार चौहान के विरुद्ध लोकायुक्त की सिफारिशों की बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस द्वारा इस निर्णय को खुद की जीत बताना ‘निराशा का रोना रोने’ के अलावा और कुछ नहीं है।’’ हर बात का राजनीतिकरण करने को अच्छी बात नहीं बताते हुए उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में माना है कि राज्य के मंत्रिमंडल को उसका उचित महत्व दिया जाना चाहिए।
मंत्रिमंडल की सर्वोच्चता को स्वीकार किया जाना फैसले का सबसे अहम बिंदु है।
उनके अनुसार अदालत ने मंत्रिमंडल की सर्वोच्चता को स्वीकार करते हुए कहा है कि चूंकि राज्यपाल ने गुजरात के लोकपाल की नियुक्ति करदी है, इसलिए वह उसे जारी रखती है।
प्रसाद ने कहा कि अभी निर्णय की प्रति नहीं मिली है, इसलिए फैसले को पूरी तरह जाने बिना टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि निर्णय की प्रति मिलने के बाद ही भाजपा अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया देगी।
उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक बड़े फैसले में गुजरात सरकार को बड़ा झटका देते हुए राज्यपाल कमला बेनीवाल की ओर से लोकायुक्त के तौर पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरए मेहता की नियुक्ति को बरकरार रखा है।
अपने निर्णय में शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की अनुशंसा के अनुसार कार्य करने को बाध्य हैं लेकिन यहां न्यायमूर्ति मेहता की नियुक्ति उचित है क्योंकि इसे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से विचार-विमर्श करके किया गया था।
उधर, इस फैसले से प्रसन्न कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार से लड़ने के बारे में वे अनिच्छुक हैं और उनका दोहरा चेहरा है। उसने भाजपा पर दोमुंही बातें करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी दल केन्द्र में तो लोकपाल चाहता है लेकिन अपनी पार्टी के शासन वाले राज्य गुजरात में इसका विरोध करता है।
भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि इस फैसले पर खुशियां मना रही कांग्रेस यह बताए कि दिल्ली सरकार के मंत्री राजकुमार चौहान के विरुद्ध लोकायुक्त की सिफारिशों की बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
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