New Delhi:
साढ़े तीन दशक पहले देश में लगे आपातकाल के चलते राजनीतिक परिदृश्य में आए बदलाव का जिक्र करते हुए भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई है कि देश में मौजूदा भ्रष्टाचार एक बार फिर सत्ता के गलियारों में परिवर्तन का कारण बनेगा। आडवाणी ने लिखा है कि चुनावी भ्रष्टाचार के कारण इंदिरा गांधी की सरकार का पतन हुआ और देश में मौजूदा भ्रष्टाचार के चलते इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराएगा। आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा, भारत को स्वतंत्र हुए छह दशक से अधिक हो गए हैं। पहले तीन दशक में देश की सत्ता में कांग्रेस पार्टी का एकाधिकार कायम रहा। ज्यादातर प्रदेशों में कांग्रेस ही सत्ता में रही। हालत यह थी कि लोकसभा में किसी भी गैर कांग्रेसी दल को विपक्ष में आधिकारिक विपक्ष का दर्जा भी हासिल नहीं हो सका था, जिसका नेता विपक्ष का नेता कहला सके। उन्होंने लिखा है कि 70 के दशक के मध्य में, गुजरात में भ्रष्टाचार के खिलाफ शक्तिशाली आंदोलन शुरू हुआ। इससे जय प्रकाशजी को बिहार में छात्रों को भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रेरित करने की प्रेरणा मिली और इसी अभियान से जेपी, एबीवीपी और आरएसएस के साथ आए। भाजपा नेता ने लिखा, मैं चुनाव सुधार में उनकी रुचि के चलते उनसे मिला। वह बार-बार कहते थे कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की जड़ें कांग्रेस सरकार के अपने भ्रष्टाचार में जमी हैं, इसलिए जब तक विपक्षी दल बंटे रहेंगे, इस समस्या से प्रभावी तौर पर नहीं निपटा जा सकता। आडवाणी के मुताबिक भ्रष्टाचार के खिलाफ जेपी के इस आंदोलन से ही जनसंघ, कांग्रेस :ओ:, सपा और बीएलडी साथ आए और जनता मोर्चा के तौर पर गुजरात में उल्लेखनीय जीत दर्ज की, जो तब तक कांग्रेस का मजबूत गढ़ था। उन्होंने लिखा, गुजरात का फैसला 12 जून, 1975 को आया, ठीक उसी दिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से लोकसभा की जीत को अवैध घोषित करते हुए उन्हें चुनावी भ्रष्टाचार के आधार पर छह साल के लिए अयोग्य ठहरा दिया। आडवाणी ने 12 जून की इन दोनों घटनाओं के संदर्भ में लिखा, इन दोनों घटनाओं के बाद आपातकाल, एक लाख से भी ज्यादा लोगों को कैद में डालने और प्रेस पर पाबंदी जैसी हिला देने वाली घटनाएं सामने आईं। आडवाणी ने लिखा है कि यह सब कुछ मार्च 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के साथ खत्म हुआ और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। उन्होंने लिखा, इससे स्पष्ट हुआ कि देश के राजनीतिक इतिहास में पहले टर्निंग प्वाइंट का अहम उत्प्रेरक भ्रष्टाचार रहा। बकौल आडवाणी, इस बात में कोई आश्चर्य नहीं कि हमारे संविधान के लागू होने के छह दशक बाद, दूसरी बार, भ्रष्टाचार बदलाव के लिए सबसे बड़ा उत्प्रेरक साबित हो।
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