नई दिल्ली:
भ्रष्टाचार को लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन की पृष्ठभूमि में बढ़ रहे सामाजिक दबाव के बीच केन्द्र सरकार एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसके तहत भ्रष्टाचार के मामलों में सुनवाई के स्तर पर ही आरोपित भ्रष्ट अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। सरकार ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों का अध्ययन किया जा रहा है जिसने संविधान के अनुच्छेद 311 में संशोधन का सुझाव दिया है। इससे भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अदालत में सुनवाई शुरू होते ही उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया जाएगा। कार्मिक एवं जन शिकायत राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था जिसे अनुशासनात्मक एवं सतर्कता कार्यवाही को तेजी से निपटाने के उपाय सुझाने को कहा गया था। उन्होंने बताया कि सरकार इस समिति की सिफारिशों का अध्ययन कर रही है। उन्होंने बताया कि समिति ने कम सजा वाले अनुशासनात्मक जांच संबंधी मामलों में जांच पूरी करने के लिए दो माह की समय सीमा तथा बड़े मामलों में 12 माह की समय सीमा तय करने का सुझाव दिया है। नारायणसामी ने बताया कि बड़ी सजा के रूप में अनिवार्य सेवानिवृति मामलों में समिति ने संबंधित अधिकारियों की पेंशन और ग्रेज्युटी में कटौती की भी सिफारिश की है।