प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना वायरस की महामारी का मुकाबला करते हुए दुनिया को चार महीने बीत गए हैैं. इस दौरान दौरान तमाम देशों को42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं जबकि करीब पौने तीन लाख लोगों की मौत हुई है. उन्होंने इस महामारी से लड़ने की भारत की इच्छाशक्ति का भी खास उल्लेख किया. आज राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि हमें कोरोना वायरस के वैश्विक संकट को विस्तार से देखने का मौका मिला है, इससे जो स्थितियां बन रही है हम इसे देख रहे हैं और सामना भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में यह बात आम है कि 21वीं सदी भारत की है. यह सपना ही नहीं. हम सभी की जिम्मेदारी है. विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका समाधान का मार्ग एक ही है-आत्मनिर्भर भारत. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की भव्य इमारत पांच पिलर-इकोनॉमी, इंफ्रास्टक्चर, सिस्टम, डेमाग्राफी और डिमांड पर टिकी हुई है.
उन्होंने कहा कि 130 करोड़ लोगों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प है. पीएम ने कहा कि जब हम संपन्न थे जो सदा विश्व कल्याण की राह पर चले. वक्त बदला, देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ गया. आज फिर हम विकास की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. हम बेहतर करेंगे, कर सकते हैं और जरूर करेंगे. मैंने कच्छ भूकंप के दिन देखे हैं. हर तरफ मलबा सब कुछ ध्वस्त हो गया था. ऐसा लगा मानो कच्छ मौत की चादर ओढ़ चुका है लेकिन कच्छ उठ खड़ा हुआ यही हम भारतीयों की संकल्प शक्ति है कोई टारगेट असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं. आज तो चाह भी है और राह भी है यह है भारत को आत्मनिर्भर बनाना. इस संबंध में उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब संकट शुरू हुआ तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी, एन-95 मासक का नाम मात्र का उल्पादन होता था लेकिन अब यह स्थिति बदल गई है. यह इसलिए हुआ कि हमने आपदा को अवसर में बदला. यह बात हमारे आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रभावी सिद्ध हुई है.
कोरोना वायरस की महामारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस महामारी के कारण भारत मे भी परिवारों ने स्वजन खोए हैंं . मैं सभी के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. साथियों...एक वायरस ने दूनिया को तहस-नहस कर दिया है. उन्होंने कहा कि दुनिया जिंदगी बचाने में एक तरह से जंग में जुटी है हमने ऐसा संकट पहले है और न सुना है. निश्चित रूप से मानव जाति के लिए यह अकल्पनीय है. यह संकट अभूतपूर्व है.
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