Coronavirus Pandemic:बायोमेडिकल रिसर्च के लिए देश की शीर्ष संस्थान, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि यह पश्चिम बंगाल में सभी दोषपूर्ण COVID-19 टेस्टिंग किट को बदलेगा. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शिकायत की थी कि यह टेस्टिंग किट दोषपूर्ण हैं और गलत परिणाम दे रही हैं. इसके कोरोना वायरस के खिलाफ महामारी के खिलाफ 'जंग' धीमी पड़ रही है. राज्य की ओर से मिली शिकायत की पुष्टि करते हुए ICMR के उप निदेशक डॉक्टर रमन गंगाखेडकर ने सोमवार को दिल्ली में एक प्रेस मीट में कहा कि किट अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा अनुमोदित हैं और अच्छी गुणवत्ता की हैं. हालांकि एक बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए था कि टेस्टिंग किट को हर समय -20 डिग्री तापमान पर रखने की आवश्यकता होती है.
उन्होंने कहा, "जब एक टेक्नीशियन काम कर रहा होता है तो वह दूसरे टेस्ट के लिए एक स्ट्रिप (Strip) निकाल सकता है. यह बात अहम है कि उस समय उसने टेस्टिंग किट को कहां रखा था? यदि वह इसे कमरे के तापमान पर रखता है, तो परिणाम के दोषपूर्ण आने की संभावना है," बंगाल सरकार को अब पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा मानकीकृत किट दी जाएगी. डॉ. गंगाखेडकर ने कहा, "नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एंटरिक डिसीजेज या कोलकाता में NICED के पास 10,000 टेस्ट के लिए किट हैं. उन्हें राज्य स्वास्थ्य विभाग को दिया जाएगा."
गौरतलब है कि जो टेस्टिंग किट दोषपूर्ण परिणाम दे रही हैं वह रीयल-टाइम फ्लोरोसेंट आरटी-पीसीआर किट हैं. चीन में बनी इन किट का बीजीआई जीनोमिक्स कंपनी लिमिटेड ने किया है, जिसे 1999 में तैयार किया गया था. इन टेस्टिंग किट से दोषपूर्ण परिणामों के बारे में रविवार शाम को बंगाल के स्वास्थ्य विभाग द्वारा ट्वीट किए जाने के तुरंत बाद, एनआईसीईडी (NICED) के निदेशक शांता दत्ता ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और आईसीएमआर ने इस मामले पर ध्यान दिया है.उन्होंने कहा, "हमें इन किटों को देने से रोकने के लिए कहा गया है." इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. बंगाल बीजेपी के के प्रमुख दिलीप घोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दोषपूर्ण परिणाम, टेस्टिंग किट के गलत तरीके से इस्तेमाल के कारण आ सकते हैं. किट दोषपूर्ण होना इसका कारण नहीं है.
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