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This Article is From May 09, 2020

कोरोनावायरस संकट ने देश को आत्मनिर्भर बनने, दुनिया की अगुवाई का अवसर दिया : नीति आयोग सदस्य

वी के सारस्वत का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो आर्थिक प्रभाव पड़ा है, वह चिंताजनक है. हर क्षेत्र में नरमी है. हमें इससे निपटने के लिए अनुशासन यानी सामाजिक दूरी और स्वच्छता का पालन करते हुए कामकाज शुरू करने की जरूरत है.

कोरोनावायरस संकट ने देश को आत्मनिर्भर बनने, दुनिया की अगुवाई का अवसर दिया : नीति आयोग सदस्य
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा है कि कोरोना वायरस संकट ने देश को आत्मनिर्भर बनने और दुनिया की अगुवाई करने का अवसर दिया है. इसके लिए हमें दुनिया के अन्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्पादन का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस समय लघु एवं मझोले उद्यमों एवं छोटे कारोबारियों को कामकाज शुरू करने में मदद के लिये विशेष पैकेज देने की जरूरत है, जिससे लोगों को फिर से काम और वेतन मिल सके. सारस्वत का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो आर्थिक प्रभाव पड़ा है, वह चिंताजनक है. हर क्षेत्र में नरमी है. हमें इससे निपटने के लिए अनुशासन यानी सामाजिक दूरी और स्वच्छता का पालन करते हुए कामकाज शुरू करने की जरूरत है. सरकार छोटे दुकानों को खोलने की अनुमति देकर इसी दिशा में कदम उठा रही है.

उन्होंने कहा, ‘इस संकट से दुनिया का लगभग हर देश प्रभावित है. ऐसे में यह हमारे लिए एक अवसर है और इसके लिए हमें दुनिया के अन्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखकर उत्पादन का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है.' उन्होंने कहा, 'इस संकट ने सिखाया है कि हमें आपूर्ति श्रृंखला के लिए एक देश पर निर्भर नहीं रहना चहिए बल्कि सभी देशों के साथ व्यापार करना चाहिए. ज्यादा-से-ज्यादा सामान यहां बनाए जाने की जरूरत है. इसके लिए हमें मेक इन इंडिया में भी बदलाव लाना होगा. हमें इसके तहत देश में बन सकने वाले सामानों को संरक्षण देने की जरूरत है. इस प्रकार के कदम से उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.'

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एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'चीन से अन्य देशों की कंपनियां अब बाहर निकल रही हैं. हम इसका लाभ उठाना चाहिए. हमें अपनी नीतियां ऐसी बनानी चाहिए कि जो कंपनियां वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया या बांग्लादेश जा रही हैं, वे यहां आने के लिए तत्पर हों. इसके लिए उन्हें सस्ती जमीन, नियमन, कामकाज की सुगमता आदि उपलब्ध कराने की जरूरत है. साथ ही बिजली, परिवहन जैसी लागतों में भी कमी करने की जरूरत है. इससे ये कंपनियां यहां आने के लिए प्रोत्साहित होंगी और देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी.'

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बढ़ती बेरोजगारी और कई कंपनियों में वेतन कटौती से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'कंपनियों खासकर छोटी इकाइयों का कामकाज कोरोना वायरस संकट के कारण लंबे समय से बंद है. इससे रोजगार पर असर पड़ा है. अब रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों एवं छोटे कारोबारी अपना कामकाज शुरू करें. लेकिन इसमें समस्या परिचालन खर्च की है यानी कारखाना शुरू करने तथा वेतन देने के लिए जो पैसा होना चाहिए, नहीं हैं.' सारस्वत ने कहा, 'ऐसे में आवश्यक है कि सरकार इनके लिए विशेष पैकेज दे ताकि बैंकों से इन्हें सस्ता दीर्घकालीन कर्ज मिल सके और वे अपना कामकाज शुरू कर सकें. इससे फिर से लोगों को रोजगार मिलेगा और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी. यह सही है कि सरकार के कहने के बाद भी कई कारोबारी हैं जिन्होंने अपने कर्मचारियों को पैसा नहीं दिया है. जैसे ही कर्मचारी लौटते हैं और काम शुरू होता है, उन्हें पैसा देना शुरू कर देना चाहिए.'

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एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'यह समस्या कोई जल्दी समाप्त नहीं हो रही. जब तक कोई दवा या टीका नहीं बन जाता है या हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इस वायरस को झेलने में मजबूत नहीं हो जाती, तबतक इस संकट से छुटकारा नहीं मिलेगा. ऐसे में जान और जहान दोनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए उद्योग के साथ सभी को अनुशासन के साथ आगे बढ़ना होगा और जीवनचर्या उसी के हिसाब से रखनी होगी.'  

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कोरोना वायरस संकट के बीच पर्यावरण स्तर में सुधार से जुड़े एक सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा, 'इस संकट ने सिखाया है कि हम जरूरत के हिसाब से ही रहें, अनुशासन में रहें. ओजोन परत में छिद्र पिछले डेढ़-दो महीने ठीक हो गया है. इससे साफ है कि प्रदूषण का कारण बेलगाम औद्योगिक गतिविधियां, वाहन, उपभोक्तावाद तथा अन्य चीजें हैं. इस समय वायु गुणवत्ता दिल्ली की बेहतर है. कोरोना वायरस संकट ने हमें प्रकृति के साथ तालमेल में रहना सिखाया है. हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी. लोग पैदल चलते थे, अब चलना ही नहीं चाहते. उपभोक्तावाद कम करना होगा. हिंदुस्तानी संस्कृति भी यही कहती है. उतना ही खाना और सामानों का उपयोग करना चाहिए जितनी शरीर को जरूरत हो.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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