तृणमूल नेता मदन मित्रा के एक बयान पर रविवार को विवाद खड़ा हो गया जब उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सचिवालय तक भाजपा के मार्च के दौरान हिंसा और पुलिस पर हमले में शामिल लोगों को "केवल दस मिनट में सबक सिखा दिया जाएगा. हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि टीएमसी भाजपा की "विघटनकारी नीतियों" के लिए प्रतिशोध की कार्रवाई के पक्ष में नहीं है. टीएमसी विधायक ने कहा कि विधायक ने कहा कि वह केवल भाजपा को बताना चाहते हैं कि "टीएमसी क्या कर सकती है लेकिन उस हद तक नहीं जाएगी." मित्रा के बयान पर भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने पलटवार करते हुए कहा कि टीएमसी नेता तेजी से खतरनाक टिप्पणियां कर रहे हैं और लोगों का समर्थन उन्होंने खो दिया है.
गौततलब है कि अपने निर्वाचन क्षेत्र कमरहाटी में एक जनसभा में बोलते हुए मित्रा ने कहा कि गुंडागर्दी और तोड़फोड़ में शामिल लोगों की पिटाई करने में दस मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा इन लोगों ने सरकारी संपत्तियों पर हमला किया है टीएमसी को धमकी दी है. मित्रा विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की उस टिप्पणी की ओर इशारा कर रहे थे, जब 13 सितंबर को सचिवालय तक मार्च शुरू होने से पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने पुलिस कर्मियो से कहा था. मित्रा ने कहा, "हम हमलावरों की तुलना में दोगुनी ताकत से जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं. हम एक बाइक पर दो लड़कों को भेज सकते हैं जो चार कच्चे बम फेंकेंगे, जिससे लंबी-चौड़ी बातें करने वाले सभी लोग भाग खड़े होंगे."
उन्होंने कहा, "लेकिन इस तरह की कार्रवाई कोई फायदा नहीं है, यह सब अच्छी बात नहीं है. टीएमसी ने जोर दिया है कि वह विकास चाहती है, हिंसा नहीं. यह प्यार और करुणा की भाषा बोलती है, बर्बरता नहीं."बताते चलें कि सचिवालय तक भाजपा के मार्च के दौरान हुई हिंसा में कोलकाता पुलिस के एक सहायक आयुक्त सहित कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे, एक पुलिस वाहन को आग लगा दी गई थी और पूर्व डिप्टी मेयर मीना देवी पुरोहित सहित भगवा पार्टी के कई कार्यकर्ता घायल हो गए थे. पुलिस ने पथराव कर रहे भाजपा प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े थे.
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