आम आदमी पार्टी को दिल्ली के अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन मिलने की खबर थी. लेकिन अब कांग्रेस ने इसका खंडन किया है. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में लाए गए अध्यादेश का विरोध करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. इसके सात दिन बाद केंद्र ने अध्यादेश जारी किया था, जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग का अंतिम अधिकार एलजी को दिया गया था.
इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष से सहयोग की अपील की थी. उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार इस अध्यादेश को कानून बनाने के लिए राज्यसभा में लाती है तो विपक्ष हमारा साथ दे. विपक्ष एक साथ होगा, तो 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी खत्म हो जाएगी.
वेणुगोपाल ने किया ये ट्वीट
वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, "अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने कोई निर्णय नहीं लिया है. यह अपनी राज्य इकाइयों और अन्य समान विचारधारा वाले दलों से पहले परामर्श करेगी. पार्टी कानून के शासन में विश्वास करती है. साथ ही पार्टी किसी भी राजनीतिक दल द्वारा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ झूठ पर आधारित अनावश्यक टकराव, राजनीतिक विच-हंट और अभियानों को नजरअंदाज नहीं करती है."
The Congress Party has not taken any decision on the issue of the Ordinance brought against the SC judgment on the powers of the Government of NCT of Delhi with respect to appointment of officers. It will consult its state units & other like-minded parties on the same.
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) May 22, 2023
The Party…
सूत्रों ने पहले NDTV को बताया था कि ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले को लेकर लाए गए केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस पार्टी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन करेगी. जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र के कार्यकारी आदेश का विरोध किया जाएगा. रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने केजरीवाल को अधिकारियों के साथ 'दुर्व्यवहार' करने के बजाय सम्मानपूर्वक बातचीत करने के 'शीला दीक्षित मॉडल' का पालन करने की सलाह दी थी. अब कांग्रेस ने आप को समर्थन देने की खबरों का खंडन किया है.
केजरीवाल विपक्षी पार्टियों से मांगेंगे समर्थन
केजरीवाल ने कहा कि इस अध्यादेश के विरोध में वे देशभर की विपक्षी पार्टियों से मिलकर समर्थन मांगेंगे. इसके लिए केजरीवाल 23 मई को वे कोलकाता में ममता बनर्जी से मिलेंगे. 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे और 25 मई को मुंबई में ही शरद पवार से मिलेंगे. इसके बाद वे अन्य विपक्षी दलों से सिलसिलेवार मुलाकात करेंगे.
11 मई को आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे.
केजरीवाल सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी का ट्रांसफर किया
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के फैसले के एक दिन बाद ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्विस सेक्रेटरी आशीष मोरे को हटा दिया. दिल्ली सरकार का आरोप है कि एलजी ने इस फैसले पर रोक लगा दी है. एलजी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऐसा कर रहे हैं. यह कोर्ट के आदेश की अवमानना है. हालांकि, बाद में एलजी ने फाइल पास कर दी.
केंद्र ने 19 मई को जारी किया अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी एलजी का होगा. इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा. संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.
इसके बाद केंद्र सरकार ने 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई. केंद्र ने संवैधानिक बेंच द्वारा दिए गए 11 मई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करने की अपील की.
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