कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच आगामी आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर बातचीत उलझ गई है. सूत्रों का कहना है कि दोनों दल अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. नतीजतन कोई फैसला नहीं हो पा रहा है. कांग्रेस पश्चिम बंगाल में 10 सीटों पर लड़ने को लेकर जोर दे रही है. इसमें 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती गई दो सीटें भी शामिल हैं.
पार्टी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि तृणमूल के साथ बातचीत इन सीटों पर केंद्रित होगी. तृणमूल इस बात पर अड़ी हुई है कि वह दो से अधिक सीटें नहीं छोड़ सकती, क्योंकि पिछली बार कांग्रेस ने इतनी ही सीटें जीती थीं. सबसे पुरानी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि वे भी तृणमूल से उन 18 सीटों के बारे में सवाल कर सकते हैं, जो वो 2019 में भाजपा से हार गई थी.
पिछले हफ्ते, राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा था, "सबसे पुरानी पार्टी तृणमूल से सीटों की भीख नहीं मांगेगी." इस पर ममता बनर्जी की ओर से तीखी और त्वरित प्रतिक्रिया आई थी. उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा, ''गठबंधन सहयोगियों की बुराई करना और सीटों का बंटवारा साथ-साथ नहीं चल सकता.''
गौरतलब है कि बीजेपी का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों का एक समूह, इंडिया गठबंधन सीट बंटवारे की व्यवस्था को मजबूत करने पर विचार कर रहा है.
पिछले महीने के अंत में ममता बनर्जी ने उत्तर 24 परगना में एक सभा में कहा था, "इंडिया का गठबंधन पूरे देश में होगा. बंगाल में टीएमसी लड़ेगी और बीजेपी को हराएगी. याद रखें, बंगाल में केवल टीएमसी ही बीजेपी को सबक सिखा सकती है, कोई अन्य पार्टी नहीं."
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