नई दिल्ली:
यौन उत्पीड़न मामलों में केंद्र द्वारा जारी नये दिशानिर्देशों के अनुसार यौन उत्पीड़न मामले में किसी फरियादी को तीन महीने तक का वैतनिक अवकाश मिलेगा, साथ ही उसे या आरोपी सरकारी कर्मचारी को जांच के दौरान दूसरे विभाग में स्थानांतरित भी किया जा सकता है। अनुशासन प्राधिकरण को निर्देश दिया गया है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों में जांच को हल्के, एकपक्षीय तरीके या गुप्त उद्देश्य से ना लिया जाए। साथ ही शिकायत को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जाए क्योंकि सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मामला कमजोर है।
यही नहीं, दफ्तर में यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करने वाली समिति को शिकायतकर्ता या आरोपी अधिकारी के स्थानांतरण करने की सिफारिश का भी अधिकार होगा। साथ ही समिति, फरियादी को 3 महीने तक की छुट्टी भी दे सकती है जिसका असर अवकाश के खाते पर नहीं पड़ेगा। विशाखा मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार सभी मंत्रालयों और संस्थानों में शिकायत समितियां बनाई जानी चाहिए। इन समितियों की प्रमुख महिला कर्मी होती हैं और इसकी कम से कम आधी सदस्य महिलाएं होनी चाहिए।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने अपने दिशानिर्देशों में कहा है कि अगर किसी मामले में किसी दफ्तर में वरिष्ठ स्तर की महिला अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं तो दूसरे कार्यालय से किसी अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है। आला स्तर से किसी तरह के अनुचित दबाव या प्रभाव को रोकने के लिए इस तरह की शिकायत समितियों में एक तीसरे पक्ष को शामिल किया जाना चाहिए, जो कोई एनजीओ या कोई अन्य संस्था हो सकती है जो यौन उत्पीड़न के मामले से परिचित हो।
यही नहीं, दफ्तर में यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करने वाली समिति को शिकायतकर्ता या आरोपी अधिकारी के स्थानांतरण करने की सिफारिश का भी अधिकार होगा। साथ ही समिति, फरियादी को 3 महीने तक की छुट्टी भी दे सकती है जिसका असर अवकाश के खाते पर नहीं पड़ेगा। विशाखा मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार सभी मंत्रालयों और संस्थानों में शिकायत समितियां बनाई जानी चाहिए। इन समितियों की प्रमुख महिला कर्मी होती हैं और इसकी कम से कम आधी सदस्य महिलाएं होनी चाहिए।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने अपने दिशानिर्देशों में कहा है कि अगर किसी मामले में किसी दफ्तर में वरिष्ठ स्तर की महिला अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं तो दूसरे कार्यालय से किसी अधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है। आला स्तर से किसी तरह के अनुचित दबाव या प्रभाव को रोकने के लिए इस तरह की शिकायत समितियों में एक तीसरे पक्ष को शामिल किया जाना चाहिए, जो कोई एनजीओ या कोई अन्य संस्था हो सकती है जो यौन उत्पीड़न के मामले से परिचित हो।
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