अमेरिका में वीजा नियमों में सख्ती से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों के सामने मुश्किलें पैदा हो गई हैं
नई दिल्ली:
अमेरिका में वीजा नियमों में सख्ती से भारतीय कंपनियों के प्रभावित होने पर चिंतित केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पूरी बहस का विस्तार कर इसमें उन अमेरिकी कंपनियों को भी शामिल करना होगा जो भारत में लाभ अर्जित कर रही हैं. भारतीय कंपनियों और खासतौर पर आईटी सेवा प्रदाता कंपनियों पर अमेरिका एवं अन्य कई देशों के नियमों में सख्ती से पड़ने वाले असर के मद्देनजर मंत्री का बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
निर्मला ने कहा कि हमें समझना होगा कि केवल अमेरिका में भारतीय कंपनिया नहीं हैं, भारत में भी कई बड़ी अमेरिकी कंपनियां हैं. वो भी यहां हैं, वो भी लाभ कमा रही हैं, वो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जाता है. उन्होंने कहा कि इसलिए इस परिस्थिति में केवल एकपक्षीय तरीके से केवल भारतीय कंपनियों को अमेरिकी सरकार के आदेश का सामना नहीं करना. भारत में कई अमेरिकी कंपनियां भी हैं जो कई साल से काम कर रही हैं और इसलिए वे चाहती हूं कि पूरी बहस का विस्तार हो और इसमें इन सभी पहलुओं को शामिल किया जाए और हम सुनिश्चित करेंगे कि इन सभी कारकों को दिमाग में रखा जाए.
वाणिज्य मंत्री ने अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों का उदाहरण दिया जो कुशल पेशेवरों की आवाजाही के लिए अपनी वीजा व्यवस्था को कड़ा कर रहे हैं. सीतारमण ने कहा कि अब विभिन्न देश सेवाओं के व्यापार के मामले में स्पष्ट तौर पर संरक्षणवाद की दीवार खड़ी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह समय है जबकि सेवाओं के व्यापार के लिए हमारे पास वैश्विक ढांचा होना चाहिए. हम सक्रिय तौर पर अपना प्रस्ताव डब्ल्यूटीओ में आगे बढ़ाएंगे. भारत डब्ल्यूटीओ में इस करार को लेकर दबाव बना रहा है. एच-1 बी वीजा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दस्तखत किए जाने के बारे में सीतारमण ने कहा कि अमेरिका ने इसमें से कुछ निश्चित संख्या में वीजा भारत को देने की प्रतिबद्धता जताई है. हम निश्चित तौर पर चाहेंगे कि अमेरिका अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा करे.
उधर, एच-1बी वीजा नियमों को सख्त किए जाने को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि यह आव्रजन से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि व्यापार और सेवाओं से संबंधित मुद्दा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में वीजा कार्यक्रम से संबंधित आंतरिक प्रक्रिया पूरा होने के बाद भारत इस वीजा प्रणाली के नियमों में बदलाव के असर का आकलन करेगा.
उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत अमेरिका को पहले ही अवगत करा चुका है कि उसके यहां भारतीय आईटी पेशेवरों ने कितना योगदान दिया है.
(इनपुट भाषा से भी)
निर्मला ने कहा कि हमें समझना होगा कि केवल अमेरिका में भारतीय कंपनिया नहीं हैं, भारत में भी कई बड़ी अमेरिकी कंपनियां हैं. वो भी यहां हैं, वो भी लाभ कमा रही हैं, वो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जाता है. उन्होंने कहा कि इसलिए इस परिस्थिति में केवल एकपक्षीय तरीके से केवल भारतीय कंपनियों को अमेरिकी सरकार के आदेश का सामना नहीं करना. भारत में कई अमेरिकी कंपनियां भी हैं जो कई साल से काम कर रही हैं और इसलिए वे चाहती हूं कि पूरी बहस का विस्तार हो और इसमें इन सभी पहलुओं को शामिल किया जाए और हम सुनिश्चित करेंगे कि इन सभी कारकों को दिमाग में रखा जाए.
वाणिज्य मंत्री ने अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों का उदाहरण दिया जो कुशल पेशेवरों की आवाजाही के लिए अपनी वीजा व्यवस्था को कड़ा कर रहे हैं. सीतारमण ने कहा कि अब विभिन्न देश सेवाओं के व्यापार के मामले में स्पष्ट तौर पर संरक्षणवाद की दीवार खड़ी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह समय है जबकि सेवाओं के व्यापार के लिए हमारे पास वैश्विक ढांचा होना चाहिए. हम सक्रिय तौर पर अपना प्रस्ताव डब्ल्यूटीओ में आगे बढ़ाएंगे. भारत डब्ल्यूटीओ में इस करार को लेकर दबाव बना रहा है. एच-1 बी वीजा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दस्तखत किए जाने के बारे में सीतारमण ने कहा कि अमेरिका ने इसमें से कुछ निश्चित संख्या में वीजा भारत को देने की प्रतिबद्धता जताई है. हम निश्चित तौर पर चाहेंगे कि अमेरिका अपनी इस प्रतिबद्धता को पूरा करे.
उधर, एच-1बी वीजा नियमों को सख्त किए जाने को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि यह आव्रजन से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि व्यापार और सेवाओं से संबंधित मुद्दा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में वीजा कार्यक्रम से संबंधित आंतरिक प्रक्रिया पूरा होने के बाद भारत इस वीजा प्रणाली के नियमों में बदलाव के असर का आकलन करेगा.
उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत अमेरिका को पहले ही अवगत करा चुका है कि उसके यहां भारतीय आईटी पेशेवरों ने कितना योगदान दिया है.
(इनपुट भाषा से भी)
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