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This Article is From Jan 29, 2021

'चुटकुले हकीकत नहीं होते': अवमानना केस में कॉमेडियन कुणाल कामरा का माफी मांगने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए हलफनामे में कामरा ने कहा, "मेरा ट्वीट न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम करने के इरादे से नहीं है." ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट मानता है कि मैंने एक लाइन पार कर ली है और मेरे इंटरनेट को अनिश्चित काल के लिए बंद करना चाहता है तो मैं भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर 15 अगस्त को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पोस्ट कार्ड लिखूंगा.

'चुटकुले हकीकत नहीं होते': अवमानना केस में कॉमेडियन कुणाल कामरा का माफी मांगने से इनकार
कामरा ने अपने हलफनामे में कहा है कि जोक्स वास्तविकता नहीं हैं और वो ऐसा होने का दावा नहीं करते हैं.
नई दिल्ली:

स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra) ने न्यायपालिका के खिलाफ अपने ट्वीट्स के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के अवमानना ​​नोटिस के जवाब में माफी मांगने से इनकार कर दिया है. कामरा ने अपने हलफनामे में कहा है कि जोक्स वास्तविकता नहीं हैं और वो ऐसा होने का दावा नहीं करते हैं. उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी है कि चुटकुलों के लिए कोई बचाव की आवश्यकता नहीं है, और यह हास्य अभिनेता की धारणा पर आधारित है.

सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए हलफनामे में कामरा ने कहा, "मेरा ट्वीट न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को कम करने के इरादे से नहीं है." ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट मानता है कि मैंने एक लाइन पार कर ली है और मेरे इंटरनेट को अनिश्चित काल के लिए बंद करना चाहता है तो मैं भी अपने कश्मीरी दोस्तों की तरह हर 15 अगस्त को हैप्पी इंडिपेंडेंस डे पोस्ट कार्ड लिखूंगा." उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में सत्ता की किसी भी संस्था को आलोचना से परे मानना तर्कहीन और अलोकतांत्रिक है.

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कामरा की तरफ से कहा गया है कि कोर्ट एक तरफ बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का मामला देख रहा है और दूसरी तरफ मुनव्वर फ़ारूक़ी जैसे हास्य कलाकारों को चुटकुलों के लिए जेल में डाल दिया गया है जो उन्होंने भी नहीं बनाया है. हलफनामे में उन्होंने कहा, "मैं न्यायालयों के कई फैसलों से असहमत हूं लेकिन इस बेंच से वादा करता हूं कि मैं किसी भी फैसले का व्यापक मुस्कुराहट के साथ सम्मान करूंगा और इस मामले में इस बेंच या SC की अवेहलना नहीं करूंगा क्योंकि वह वास्तव में अदालत की अवमानना ​​होगी."

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इन परिस्थितियों में SC यह प्रदर्शित करेगा कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक कार्डिनल संवैधानिक मूल्य है. बता दें कि कुणाल कामरा को सुप्रीम कोर्ट पर ट्वीट करने के लिए अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया गया था. 

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