पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने एनडीटीवी के साथ खुलासा करते हुए कहा कि कोल ब्लॉक एलॉटमेंट में मामले में प्रधानमंत्री नीलामी के दौरान 'खुलापन' चाहते थे लेकिन राजनीतिक गुटबाज़ी ने अड़ंगा लगा दिया।
                                            
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने एनडीटीवी के साथ खुलासा करते हुए कहा कि कोल ब्लॉक एलॉटमेंट में मामले में प्रधानमंत्री नीलामी के दौरान 'खुलापन' चाहते थे लेकिन राजनीतिक गुटबाज़ी ने अड़ंगा लगा दिया।
पहली बार किसी बड़े अधिकारी ने यह बात कही है कि कोल ब्लॉक अलॉटमेंट के मौजूदा सिस्टम में पावर कंपनियों को भरपूर मुनाफा हुआ और इसमें भ्रष्टाचार से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
पूर्व कोयला सचिव पारेख ने खासतौर पर एनडीटीवी से कहा कि सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी पर केंद्र और राज्य से अपने लोगों के हक में लॉबिंग करने को लेकर काफी दबाव रहता है। उन्होने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री बदलाव चाहते थे लेकिन कुछ लोगों ने यह बदलाव होने नहीं दिया।
2004 में अपने मंत्रालय में होने के दौरान पारेख ने पीएमओ को एक चिट्ठी लिखकर पारदर्शी और नीलामी आधारित सिस्टम का प्रस्ताव किया था लेकिन इसके बाद अगले दो साल तक सचिव और पीएमओ में लिखा-पढ़ी चलती रही। कोयला सचिव सिस्टम बदलना चाहते थे जबकि पीएमओ मौजूदा सिस्टम को जारी रखने के पक्ष में था।
                                                                        
                                    
                                पहली बार किसी बड़े अधिकारी ने यह बात कही है कि कोल ब्लॉक अलॉटमेंट के मौजूदा सिस्टम में पावर कंपनियों को भरपूर मुनाफा हुआ और इसमें भ्रष्टाचार से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
पूर्व कोयला सचिव पारेख ने खासतौर पर एनडीटीवी से कहा कि सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी पर केंद्र और राज्य से अपने लोगों के हक में लॉबिंग करने को लेकर काफी दबाव रहता है। उन्होने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री बदलाव चाहते थे लेकिन कुछ लोगों ने यह बदलाव होने नहीं दिया।
2004 में अपने मंत्रालय में होने के दौरान पारेख ने पीएमओ को एक चिट्ठी लिखकर पारदर्शी और नीलामी आधारित सिस्टम का प्रस्ताव किया था लेकिन इसके बाद अगले दो साल तक सचिव और पीएमओ में लिखा-पढ़ी चलती रही। कोयला सचिव सिस्टम बदलना चाहते थे जबकि पीएमओ मौजूदा सिस्टम को जारी रखने के पक्ष में था।
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