सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को लापता रोहिंग्याओं के मामले वाली याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने ऐसी याचिकाओं पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि क्या ऐसे लोगों का हम रेड कारपेट बिछाकर स्वागत करें.मुख्य न्यायाधीश ने यह भी पूछा कि क्या राज्य का यह दायित्व है कि यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से देश में प्रवेश कर गया है तो उसे देश में ही रखा जाए.याचिका में हिरासत से पांच रोहिंग्याओं के लापता होने को चिह्नित किया गया था और तर्क दिया गया था कि निर्वासन को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए.
CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि पहले, आप प्रवेश करते हैं, आप अवैध रूप से सीमा पार करते हैं. आप सुरंग खोदते हैं या बाड़ पार करते हैं... फिर आप कहते हैं, अब जब मैं प्रवेश कर चुका हूं, तो आपके कानून मुझ पर लागू होने चाहिए. आप कहते हैं, मैं भोजन का हकदार हूं, मैं आश्रय का हकदार हूं, मेरे बच्चे शिक्षा के हकदार हैं। क्या हम कानून को इस तरह से खींचना चाहते हैं? हमारे देश में भी गरीब लोग हैं. वे नागरिक हैं. क्या वे कुछ लाभों और सुविधाओं के हकदार नहीं हैं? उन पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करना बहुत "काल्पनिक" है. बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में, हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को न्यायाधीश के लिए अदालत के समक्ष पेश किया जाना चाहिए ताकि वह यह आकलन कर सके कि हिरासत वैध है या नहीं.
CJI ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अवैध रूप से प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को "थर्ड-डिग्री तरीकों" के अधीन नहीं किया जाना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने यह भी बताया कि सरकार ने रोहिंग्या को शरणार्थी घोषित नहीं किया है. यदि शरणार्थी की कोई कानूनी स्थिति नहीं है, और कोई घुसपैठिया है और वह अवैध रूप से प्रवेश करता है, तो क्या उस व्यक्ति को यहां रखना हमारा दायित्व है? उत्तर भारत में हमारी सीमा बहुत संवेदनशील है. यदि कोई घुसपैठिया आता है, तो क्या हम उसका लाल कालीन से स्वागत करते हैं? हमारे देश में भी गरीब लोग हैं. वे नागरिक हैं. क्या वे कुछ लाभ और सुविधाओं के हकदार नहीं हैं? उन पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाए? उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करना बहुत "काल्पनिक" है. बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में, हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को न्यायाधीश के सामने अदालत में पेश किया जाना चाहिए ताकि वह यह आकलन कर सके कि हिरासत वैध है या नहीं.
हालांकि, CJI ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अवैध रूप से प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को "थर्ड-डिग्री तरीकों" के अधीन नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि सरकार ने रोहिंग्या को शरणार्थी घोषित नहीं किया है. यदि शरणार्थी की कोई कानूनी स्थिति नहीं है, और कोई घुसपैठिया है और वह अवैध रूप से प्रवेश करता है, तो क्या उस व्यक्ति को यहां रखना हमारा दायित्व है? उत्तर भारत में हमारी सीमा बहुत संवेदनशील है। यदि कोई घुसपैठिया आता है, तो क्या हम उसका लाल कालीन से स्वागत करते हैं?
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