
- समस्तीपुर के विभूतिपुर विधानसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी के राजीव रंजन कुमार को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया
- रिटायर्ड जज ने राजीव रंजन कुमार पर करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की आर्थिक धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था
- राजीव ने जज से 24% वार्षिक ब्याज का वादा कर 2 परियोजनाओं में निवेश के नाम पर रकम ली थी
बिहार में समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर विधानसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे विभूतिपुर थाना क्षेत्र के टभका के स्व. सुंदेश्वर राय के पुत्र राजीव रंजन कुमार को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उन पर करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. सूत्रों के मुताबिक, बिधाननगर ईस्ट थाना क्षेत्र की पुलिस ने उन्हें एक रिटायर्ड जज से धोखाधड़ी के मामले में हिरासत में लिया है. मिली जानकारी के अनुसार, रिटायर्ड जज इंद्रजीत चटर्जी ने 7 सितंबर 2025 को राजीव रंजन कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. आरोप है कि राजीव रंजन ने एक वित्तीय लेन-देन में भारी रकम लेकर वापस नहीं की. मामले की जांच के बाद गुरुवार को बिधाननगर थाने की पुलिस ने नामजद अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया.
राजीव रंजन कुमार को कोर्ट में पेश करने की तैयारी
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद राजीव रंजन को थाने लाया गया, जहां प्रारंभिक पूछताछ की गई. पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई के लिए आरोपी राजीव रंजन कुमार को कोर्ट में पेश करने की तैयारी की जा रही है. बता दें कि बंगाल के सॉल्ट लेक निवासी सेवानिवृत्त जस्टिस इंद्रजीत चटर्जी ने बिधाननगर ईस्ट पुलिस स्टेशन में इसी 7 सितंबर को एक बड़े आर्थिक धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. शिकायत में उन्होंने प्रमोटर राजीव रंजन कुमार, निवासी एसी-127, सेक्टर-I एवं एफई-144, सेक्टर-III, साल्ट लेक सिटी, कोलकाता पर 4.49 करोड़ रुपये की ठगी और धन के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगाया था.
24% वार्षिक ब्याज का दिया था लालच
रिटायर्ड जस्टिस इंद्रजीत चटर्जी, जो वर्तमान में बीके-169, सेक्टर-II, साल्ट लेक में रहते हैं, ने अपनी शिकायत में बताया कि राजीव रंजन कुमार, जो 'त्रिमूर्ति इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड' के प्रबंध निदेशक हैं, ने निवेश के नाम पर उनके साथ धोखाधड़ी की. शिकायत के अनुसार, वर्ष 2024 में संपत्ति खरीदने के दौरान जस्टिस चटर्जी की राजीव से पहचान हुई थी. संपत्ति सौदे में मदद के बाद राजीव ने विश्वास जीतकर उन्हें दो प्रोजेक्ट्स- FE-388, सेक्टर-III और CA-124, सेक्टर-I, साल्ट लेक- में निवेश का प्रस्ताव दिया. राजीव ने दावा किया कि निवेश पर उन्हें 24% वार्षिक ब्याज मिलेगा और परियोजनाओं से होने वाले लाभ को 50-50 के अनुपात में साझा किया जाएगा. इस विश्वास के आधार पर, जस्टिस चटर्जी ने 2 करोड़ रुपये चार चेकों के माध्यम से दिए. बाद में राजीव ने परियोजनाओं के बहाने और ₹2.29 करोड़ रुपये भी लिए. इस प्रकार ब्याज जोड़कर कुल निवेश 4.49 करोड़ तक पहुंच गया.
लेकिन शिकायत के अनुसार, यह पैसा जिन दो प्रोजेक्ट्स (FE-388 और CA-124) के लिए लिया गया था, उनमें निर्माण कार्य दिसंबर 2024 के बाद बिल्कुल भी नहीं हुआ. इसके बजाय, राजीव ने उक्त राशि का उपयोग AJ-13, सेक्टर-II और FE-144, सेक्टर-III में स्थित दो अन्य चार मंजिला इमारतों के निर्माण में किया. जस्टिस चटर्जी ने आरोप लगाया कि यह सब 'सुनियोजित धोखाधड़ी' थी. राजीव ने जानबूझकर उनकी गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग किया और अपने लाभ के लिए निवेश की राशि को दूसरी परियोजनाओं में लगा दिया.
राजीव रंजन कुमार पर धोखाधड़ी, विश्वासघात का आरोप
उन्होंने यह भी बताया कि लगातार अनुरोध और संपर्क के बावजूद राजीव ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया और संपर्क से बचने लगे. जब शिकायतकर्ता ने निर्माण स्थलों का दौरा किया, तो पाया कि उनके निवेश से संबंधित परियोजनाएं अधर में पड़ी हैं. शिकायत में यह भी उल्लेख है कि इस आर्थिक धोखाधड़ी ने जस्टिस चटर्जी और उनके परिवार को मानसिक व आर्थिक रूप से तोड़ दिया है. उनकी पत्नी को तनाव के कारण मानसिक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जबकि वे स्वयं अपने मानसिक रूप से विकलांग बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने पुलिस से राजीव रंजन कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक दुरुपयोग के आरोपों के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
(अविनाश कुमार की रिपोर्ट)
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