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This Article is From May 16, 2016

चीन की आईएसआई से मिलीभगत, जासूसी के लिए ग्रामीणों को किए फोन कॉल

चीन की आईएसआई से मिलीभगत, जासूसी के लिए ग्रामीणों को किए फोन कॉल
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: लेह इलाके में चीन की ओर से आ रहे जासूसी भरे फोन कॉल्स में आईएसआई की मिलीभगत है। सीमावर्ती इलाकों में चीनी जासूसों ने भारतीय सेना के मूवमेंट और उसकी पोजीशन की जानकारी हासिल करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को फोन किए थे। इन कॉल्स में उन्होंने ख़ुद को भारतीय सेना का अफसर बताया था। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक इन हरकतों में चीन के साथ आईएसआई भी सक्रिय है।

मैं कर्नल बोल रहा हूं...
चीन की हरकतों से उसकी असल मंशा को लेकर हमेशा ही संदेह पैदा होता रहा है। अब सीमा से सटे इलाकों में लोगों को फोन भी आ रहे हैं। सीमावर्ती गांव डुरबुक के सरपंच स्टेन्ज़िन को फोन आया जिसमें भारतीय सेना के बारे में सवाल पूछे गए। कॉल करने वाले ने कहा कि मैं कर्नल बोल रहा हूं, आपके यहां कौन सी रेजीमेंट मूव कर रही है। स्टेन्ज़िन को कॉलर की पूछताछ से शक हो गया। उसने सवाल किया कि मेरा नंबर कहां से मिला है। कॉलर ने कहा कि लेह के उपायुक्त ने नंबर दिया है। शक होने पर स्टेन्ज़िन ने कहा कि अगर आप कर्नल हैं तो संबंधित अधिकारियों से बातचीत करें। कॉलर ने सैनिकों की आवाजाही के अलावा पूछा कि सड़कें कहां तक बनी हैं और सेना की यूनिट्स क्या कर रही हैं। स्टेंज़िन को 011404609809 नंबर से कॉल आया था।

कम्प्यूटर से किए कॉल
बाद में खोजबीन से पता चला कि यह कॉल किसी कम्प्यूटर के ज़रिये की गई थी। छानबीन से यह भी पता चला कि उपायुक्त से न किसी ने नंबर मांगा था, न ही उन्होंने किसी को नंबर दिया था। स्टेंज़िन की शिकायत के आधार पर पता चला कि गांवों के दूसरे लोगों को भी इस तरह के फोन आए हैं और बहुत से लोग कॉलर को पूछी गई जानकारी दे भी चुके हैं।

खास बात यह है कि ऐसे फोन उन लोगों के पास आए हैं जो या तो सरपंच हैं या स्थानीय सरकारी महकमों में काम करते हैं। यानी वे लोग जिनके पास सेना से जुड़ी जानकारियां होती हैं।

सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटीं
अब सुरक्षा एजेंसियां फोन करने वालों के नाम, टेलिफोन नंबर, मांगी गई सूचना आदि का लेखा जोखा तैयार करने में जुटी है। साथ ही अब सेना ने लद्दाख और लेह के इलाकों में गांव वालों से सतर्कता बरतने के लिए कहा है। ग्रामीणों से कहा गया है कि ऐसे किसी भी कॉल के आधार पर वे सुरक्षा से जुड़ी कोई जानकारी साझा न करें। इस बाबत स्थानीय प्रशासन को भी सतर्क किया गया है। साथ ही पर्वतीय परिषद के सदस्यों को भी चौकस रहने के लिए कहा गया है। पेंटागन की रिपोर्ट के अलावा अब भारतीय एजेंसियां भी सरहद पर चीनी सैनिकों की तादाद बढ़ने की बात स्वीकार कर रही हैं। यह पाया गया है कि पहले चीनी सेना सीमा के करीब के इलाकों में अभ्यास करके चली जाती थी, लेकिन अब अभ्यास के बाद वहीं ठहर जाती है।

जाहिर है इन हालात के बाद भारत को सीमा पर ढांचा मजबूत करने के लिए तेज़ी से कदम उठाने होंगे।

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