एक्सक्लूसिव सैटेलाइट तस्‍वीरें : चीन का हिंद महासागर पर ठिकाना हुआ ऑपरेशनल, युद्धपोत तैनात

जिबौती में चीन का यह पहला विदेशी सैन्‍य अड्डा (overseas military base) 590 मिलियन यूएस डॉलर की लागत से तैयार हुआ है और 2016 से निर्मार्णाधीन है.

नई दिल्‍ली:

चीन किस तरह हिंद महासागर में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है, उसका खुलासा एक बार फिर हो गया है.अफ्रीका के किनारे पर जिबौती (Djibouti) में स्थित चीनी नेवल बेस अब पूरी तरह ऑपरेशनल हो गया है. एनडीटीवी की ओर से हासिल की गई सैटेलाइट तस्‍वीरें बताती हैं कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी युद्धपोत भी तैनात हैं. जिबौती में चीन का यह पहला विदेशी सैन्‍य अड्डा (overseas military base) 590 मिलियन यूएस डॉलर की लागत से तैयार हुआ है और 2016 से निर्मार्णाधीन है. यह रणनीतिक तौर पर अहम बाब-एल-मंडेब  जलडमरुमध्‍यय (Bab-El-Mandeb Strait)  पर स्थित है जो एडन की खाड़ी को लाल सागर से अलग करता है और स्‍वेज नहर के मार्ग को सुरक्षा देता है. स्‍वेज नहर को अंतरराष्‍ट्रीय वाणिज्‍य के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण माना जाता है. 

नौसना विश्‍लेषक एचआई सटन कहते हैं, "चीन के जिबौती (Djibouti) बेस को किले की तरह बनाया गया है, इसकी डिफेंस लेयर्स पुराने जमाने के किले की तरह हें. इसे सीधे हमले का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है." 

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यह बेड़ा चीन के असॉल्‍ट फोर्स की रीढ़ है आकार और क्षमता के चलते इसका उपयोग logistics मिशंस के लिए भी किया जा सकता है (Satellite image 2020 Maxar Technologies) High-res here

इमेजरी प्रोवाइडर मैक्‍सार की तस्‍वीरें एक चीनी युझाओ क्‍लास लैंडिंग शिप (Type 071)  को दिखाती हैं जो 320 मीटर लंबे क्षेत्र में तैनात किया गया  है जहां से हेलीकॉप्‍टर संचालन भी किया जा सकता है. वाइस एडमिरल शेखर सिन्‍हा (रिटायर्ड) कहते हैं, "बेस (अड्डा )पूरी तरह से ऑपरेशनल है हालांकि अभी और कंस्‍ट्रक्‍शन होने की संभावना है. वे दोनों ओर शिप तैनात कर सकते हैं. हालांकि jetty की चौड़ाई कम है लेकिन यह इतना बड़ा है कि चीनी हेलीकॉप्‍टर कैरियर आ सके."

चेंगबाई शान नाम का यह जहाज 25 हजार टन का है. इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें 800 सैनिक, वाहन और हेलीकॉप्‍टर आ सकते हैं. समझा जाता है कि जब इस जहाज ने इस साल हिंद महासागर में प्रवेश किया था तो इसके साथ एक frontline Chinese destroyer भी था. सटन बताते हैं, " Type-071 लैंडिंग शिप बेहद बड़ा है और यह कई टैंकों, ट्रकों यहां तक कि हवरक्राफ्ट को भी ले जाने में सक्षम है. यह बेड़ा चीन के असॉल्‍ट फोर्स की रीढ़ है हालांकि अब और भी प्रभावी जहाज बेड़े में शामिल हो रहे हैं. इसके आकार और क्षमता के चलते इसका उपयोग logistics मिशंस और महत्‍वपूर्ण आपूत्रि की सप्‍लाई के लिए भी किया जा सकता है.

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युझाओ क्‍लास के शिप को अग्रणी चीनी टॉस्‍क फोर्स को संचालित करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है. High-res here

युझाओ क्‍लास के शिप को अग्रणी चीनी टॉस्‍क फोर्स को संचालित करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है. चीनी नौसेना ने इस श्रेणी के पांच शिप को शामिल किया है जबक‍ि तीन अन्‍य शिप अभी फिटिंग के स्‍टेज में हैं.  Djibouti बेस के पूरी तरह ऑपरेशन होने की यह तस्‍वीरें ऐसे समय आई हैं जब चीन ने अपनी 25 हजार टन की सैटेलाइट और बैलेस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग शिप युआन वांग 5 को श्रीलंका के हम्‍बनटोटा बंदरगाह  पर तैनात किया है.  नई दिल्ली की ओर से चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने इस शिप को आने देने की मंज़ूरी रोक दी थी लेकिन बाद में फिर इसे मंज़ूरी दे दी. 

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Chinese Yuan Wang-5 satellite tracking ship is presently being replenished at Hambantotta Port, Sri Lanka. With inputs from Damien Symon (Satellite image 2020 Maxar Technologies) High-res here

वरिष्ठ शोधकर्ता डेमियन साइमन कहते हैं, "ये शिप अत्याधुनिक ट्रैकिंग तकनीकी से लैस है जो बैलिस्टिक मिसाइल और सैटेलाइट को भी ट्रैक कर सकता है. ये जहां खड़ा होता है वहां से कई किलोमीटर के दायरे में डाटा इकट्ठा कर सकता है. ' बता दें कि हंबनटोटा दुनिया के अत्यधिक व्यस्त ईस्ट वेस्ट शिपिंग रूट के बहुत ही नज़दीक है जिससे इसकी रणनीतिक स्थिति और बढ़ जाती है. भारत के लिए आशंका यह है कि चीन उसकी प्रमुख सैटेलाइट को ट्रैक कर सकता है. मौजूदा भारत-चीन सीमा संकट के तत्‍काल समाधान नहीं होने के बीच इस शिप की तैनाती से भारत की टोही संपत्ति (reconnaissance assets)  की जासूसी की आशंका बढ़ सकती है. 

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Map of Indian Ocean Region showing Chinese naval bases in Djibouti, Gwadar (Pakistan) and the China-leased port of Hambantota in Sri Lanka. High-res here

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Djibouti में चीन की मौजूदगी हिंद महासागर में मजबूत उपस्थिति दर्शाने की उसकी विस्‍तृत योजना का हिस्‍सा है. यह न केवल अमेरिका नौसेना बल्कि भारतीय नौसेना के बेस को भी ध्‍यान में रखते हुए तैयार की गई है. पाकिस्‍तान के ग्‍वादर का बंदरगाह भी इस लिहाज से किसी और विस्‍तार के लिए अहम होगा. एडमिरल प्रकाश कहते हैं, "आज हम जो देख रहे हैं वह समुद्री प्रभाव को बढ़ाने की चीन की सुनियोजित और सोची समझी रणनीति है. " इस रणनीति के अंतर्गत चीन को पहले ही हिंद महासागर में Nuclear-powered attack submarines को संचालित करते हुए देखा जा चुका है.