चीनी ऑनलाइन हैंडल्स ने पिछले साल जून में गालवान वैली (Galwan Valley) में भारत और चीन के सैनिकों (Indian and Chinese soldiers) के बीच हुई हिंसक झड़प के फुटेज जारी किए है. भारत और चीन की ओर से सोमवार को जारी किए गए साझा बयान (India and China issued a joint statement) के कुछ ही घंटों बाद ये विजुअल्स सामने आए हैं. साझा बयान में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए वे कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता जारी रखेंगे. पिछले वर्ष 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई इस हिंसक झड़प को वर्ष 1962 में हुए युद्ध के बाद का सबसे भीषण संघर्ष माना गया था. फुटेज में चीनी सैनिकों को गालवान नदी के मोड़ पर ऊंचाई से भारतीय सैनिकों पर पथराव करते हुए देखा जा सकता है.
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क्लिप में कुछ चीनी सैनिकों को नदी के बहाव में बहते हुए और दोनों पक्षों के सैनिकों को एकत्रित होते हुए भी देखा जा सकता है. भारतीय पक्ष ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि हिंसक झड़प में उसके 20 सैनिकों/अधिकारियों को जान गंवानी पड़ी है. दूसरी ओर, चीनी पक्ष ने चार सैनिकों की मौत होने की बात कही थी, वैसे इस दावे को सेना के सूत्र मजबूती से नकारते हैं. लद्दाख गतिरोध के हल के लिए भारत और चीन के बीच 12वें दौर की सैन्य बातचीत शनिवार को हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों ने सभी लंबित मुद्दों को हल करने पर सहमति जताई थी. हालांकि नौ घंटे की बातचीत के बाद भी सीमा से लगे हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा जैसे शेष फ्रिक्शन प्वाइंट पर सैनिकों के पीछे हटने जैसा कोई बड़ा 'मूवमेंट' सामने नहीं आया है.
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सेना की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच विचारों का गहन और स्पष्ट आदान-प्रदान हुआ और इससे दोनों पक्षों के बीच आपसी समझ और बढ़ी है.भारत ने दोहराया कि विवाद का कारण बने डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा जैसे मुद्दों का समाधान दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है.ताजा दौर की यह बातचीत भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच शंघाई कोआपरेशन आर्गेनाइजेशन (SCO) सम्मेलन के इतर 14 जुलाई को हुई मुलाकात के बाद हुई है.विदेश मंत्री जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन के इतर एक घंटे तक चली बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी से स्पष्ट तौर पर कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को 'स्वीकार्य नहीं' है और पूर्वी लद्दाख में शांति की पूर्ण बहाली के बाद ही संबंध समग्र रूप से विकसित हो सकते हैं.
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