इन दिनों समुद्र में चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत को घेरने की तैयारी में हैं. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
पिछले कुछ समय से भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों बॉर्डर पर तनातनी वाले हालात से गुजरने पड़ रहे हैं. सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों के जोर-जबरदस्ती से भारतीय सीमा में दाखिल होने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. चीनी मीडिया आए दिन भारतीयों को नसीहत दे रही है. वहीं जम्मू-कश्मीर में भारतीय फौज को लगातार पाकिस्तान की ओर से भेजे जा रहे आतंकियों से निपटने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. ऐसे में हम आपका ध्यान दिलाना चाहते हैं कि केवल थल ही नहीं जल यानी समुद्र में भी पाकिस्तान और चीन भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के मंत्री लगातार कह रहे हैं कि पाकिस्तान और चीन की इन हरकतों से किसी भी भारतीय को घबराने की जरूरत नहीं है. पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा है कि वह दुश्मनों के साथ कोई नरमी नहीं बरतेंगे, उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा. भारतीय थल सेना की ताकत का लोहा तो दुनिया भर में माना जाता है, लेकिन जल और वायु में दुश्मनों को परास्त करने में भी भारतीय फौज कुवत रखता है. ऐसे आइए जानते हैं आखिर भारत ने जल में पाकिस्तान और चीन के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए किस प्लान पर काम कर रही है?
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फ्रांस के सबमरीन से परास्त होगा पाक-चीन!
हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान को सीधी टक्कर देने के लिए भारत ने फ्रांस से तीन और पनडुब्बी खरीदने का फैसला लिया है. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की छह सबमरीन मझगांव डॉक पर खड़ी हैं और छह न्यू जनरेशन स्टील्थ सबमरीन के अगले साल तक टेंडर जारी किए जाएंगे.
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इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि चीन की नौसैनिक क्षमता भारत के मुकाबले ज्यादा है. भारत के लिए चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान ने भी बीजिंग को 8 एडवांस डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन बनाने को कहा है.
महाराष्ट्र-गोवा के समुद्री इलाके में बने मझगांव डॉकयार्ड में भारत ने पहला स्वदेशी पनडुब्बी सबमरीन तैयार किया है. यह कई दौर के परीक्षण में सफल भी हो चुकी है. जल्द ही भारतीय नौसेना की शान बढ़ाती हुई दिख सकती है. जहां तक पनडुब्बी की बात है तो यह एंटी सबमरीन, बारूदी सुरंग बिछाने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी के साथ कई मिशन अंजाम दे सकती है. इसकी लंबाई 216 फीट लंबाई और चौड़ाई 20 फीट है. इसके अलावा फ्रांस छह सबमरीन 2018 तक भारत के साथ मिलकर तैयार करेगा. इसके लिए समझौता हो चुका है.
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अंडमान से दुश्मनों पर नजरें रखेंगे ये सबमरीन
बताया जा रहा है कि भारत पनडुब्बी सबमरीन को अंडमान और निकोबार के पास मलक्का स्ट्रेट में तैनात करेगा. इसकी मुख्य वजह यह है कि चीन इस क्षेत्र में दखल बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है. पिछले कुछ समय से हिंद महासागर में चीन की न्यूक्लियर सबमरीन की मौजूदगी पर भारतीय नौसेना इशारा कर चुकी है.
वीडियो में देखें, क्यों भारत पहुंचा अमेरिकी एयरक्राफ्ट
भारत को मलक्का स्ट्रेट के पास समुद्री लेन, चेक प्वाइंट्स की सुरक्षा और निगरानी दोनों पर बल देना होगा. मलक्का स्ट्रेट इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच का हिस्सा है. यह हिंद महासागर और प्रशांत को जोड़ता है.
जानें कितनी ताकतवर है भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 13 पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं. इनमें से भी 10 सबमरीन 25 साल से ज्यादा पुरानी है. आईएनएस चक्र रूस से लीज पर लिया गया है. यह भी परमाणु क्षमता से लैस नहीं है. दूसरी ओर चीन के पास 51 सामान्य और 5 न्यूक्लियर सबमरीन हैं. इसके अलावा चीन 5 और नए जेआईएन क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन अपने बेड़े में शामिल करने जा रहा है. इन पर 7400 किलोमीटर तक मार करने वाली जेएल-2 मिसाइल भी तैनात हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के मंत्री लगातार कह रहे हैं कि पाकिस्तान और चीन की इन हरकतों से किसी भी भारतीय को घबराने की जरूरत नहीं है. पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा है कि वह दुश्मनों के साथ कोई नरमी नहीं बरतेंगे, उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा. भारतीय थल सेना की ताकत का लोहा तो दुनिया भर में माना जाता है, लेकिन जल और वायु में दुश्मनों को परास्त करने में भी भारतीय फौज कुवत रखता है. ऐसे आइए जानते हैं आखिर भारत ने जल में पाकिस्तान और चीन के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए किस प्लान पर काम कर रही है?
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हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान को सीधी टक्कर देने के लिए भारत ने फ्रांस से तीन और पनडुब्बी खरीदने का फैसला लिया है. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की छह सबमरीन मझगांव डॉक पर खड़ी हैं और छह न्यू जनरेशन स्टील्थ सबमरीन के अगले साल तक टेंडर जारी किए जाएंगे.
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इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि चीन की नौसैनिक क्षमता भारत के मुकाबले ज्यादा है. भारत के लिए चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान ने भी बीजिंग को 8 एडवांस डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन बनाने को कहा है.
महाराष्ट्र-गोवा के समुद्री इलाके में बने मझगांव डॉकयार्ड में भारत ने पहला स्वदेशी पनडुब्बी सबमरीन तैयार किया है. यह कई दौर के परीक्षण में सफल भी हो चुकी है. जल्द ही भारतीय नौसेना की शान बढ़ाती हुई दिख सकती है. जहां तक पनडुब्बी की बात है तो यह एंटी सबमरीन, बारूदी सुरंग बिछाने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी के साथ कई मिशन अंजाम दे सकती है. इसकी लंबाई 216 फीट लंबाई और चौड़ाई 20 फीट है. इसके अलावा फ्रांस छह सबमरीन 2018 तक भारत के साथ मिलकर तैयार करेगा. इसके लिए समझौता हो चुका है.
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बताया जा रहा है कि भारत पनडुब्बी सबमरीन को अंडमान और निकोबार के पास मलक्का स्ट्रेट में तैनात करेगा. इसकी मुख्य वजह यह है कि चीन इस क्षेत्र में दखल बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है. पिछले कुछ समय से हिंद महासागर में चीन की न्यूक्लियर सबमरीन की मौजूदगी पर भारतीय नौसेना इशारा कर चुकी है.
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भारत को मलक्का स्ट्रेट के पास समुद्री लेन, चेक प्वाइंट्स की सुरक्षा और निगरानी दोनों पर बल देना होगा. मलक्का स्ट्रेट इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच का हिस्सा है. यह हिंद महासागर और प्रशांत को जोड़ता है.
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भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 13 पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं. इनमें से भी 10 सबमरीन 25 साल से ज्यादा पुरानी है. आईएनएस चक्र रूस से लीज पर लिया गया है. यह भी परमाणु क्षमता से लैस नहीं है. दूसरी ओर चीन के पास 51 सामान्य और 5 न्यूक्लियर सबमरीन हैं. इसके अलावा चीन 5 और नए जेआईएन क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन अपने बेड़े में शामिल करने जा रहा है. इन पर 7400 किलोमीटर तक मार करने वाली जेएल-2 मिसाइल भी तैनात हैं.
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