उद्योगपति विजयपत सिंघानिया का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में जो सबसे बड़े सबक सीखे उनमें से एक यह है कि किसी को जीवित रहते अपनी संपत्ति अपने बच्चों को देते समय सावधान रहना चाहिए. रेमंड समूह के पूर्व ‘चेयरमैन एमेरिटस' ने अपनी आत्मकथा “ऐन इन्कम्प्लीट लाइफ” में अपने बचपन से लेकर रेमंड में बिताये कई दशकों और उसके बाद के जीवन का वृत्तांत लिखा है. परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति को लेकर हुए विवाद में फरवरी 2015 में सिंघानिया को अपना काम और पैतृक घर छोड़ना पड़ा था. उन्होंने जो खोया था उसे पाने के लिए वह आज भी संघर्ष कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “अनुभव से मैंने सबसे बड़ा सबक सीखा वह ये कि अपने जीवित रहते अपनी संपत्ति को अपनी संतानों को देते समय सावधानी बरतनी चाहिए. आपकी संपत्ति आपके बच्चों को मिलनी चाहिए लेकिन यह आपकी मौत के बाद ही होना चाहिए. मैं नहीं चाहता कि किसी माता पिता को वह झेलना पड़े जो जिससे मैं हर दिन गुजरता हूं.” सिंघानिया के अनुसार, अब सब कुछ उनके ऊपर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, “मुझे मेरे कार्यालय जाने से रोक दिया गया जहां महत्वपूर्ण दस्तावेज पड़े हैं और अन्य सामान जो कि मेरा है.”
पैन मैकमिलन इंडिया द्वारा प्रकाशित पुस्तक में सिंघानिया ने लिखा, “मुंबई और लंदन में मुझे अपनी कार छोड़नी पड़ी और मैं अपने सचिव से भी संपर्क नही कर सकता. ऐसा लगता है कि रेमंड के कर्मचारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं कि वे मुझसे बात नहीं करें और मेरे कार्यालय में न आएं.” प्रसिद्ध सिंघानिया परिवार में जन्मे विजयपत सिंघानिया से यही उम्मीद की जाती थी कि वह अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालेंगे लेकिन कोई उन्हें उनकी रुचि का काम करने से रोक नहीं सका और उन्होंने पायलट के तौर पर आकाश में दो विश्व कीर्तिमान स्थापित किये, कुछ समय के लिए प्रोफेसर रहे और एक बार मुंबई के शेरिफ भी बने.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं