अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमण्डल के साथ बुधवार को भोपाल में केन्द्र सरकार की किसानों के प्रति प्राकृतिक आपदा में असंवेदनशील रवैये के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आहूत एक-दिवसीय राज्यव्यापी 'बंद' के दौरान चार घंटे तक उपवास पर बैठने के बाद अपना धरना समाप्त कर दिया।
इसी के साथ वह (चौहान) देश के ऐसे चौथे मुख्यमंत्री हो गए, जो पिछले दो महीने के दौरान केन्द्र सरकार से अपनी-अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं।
इससे पहले अरविंद केजरीवाल, किरण कुमार रेड्डी और नीतीश कुमार ने यह कारनामा मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए किया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमण्डल के साथ आज सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक धरने पर बैठकर उपवास किया।
धरना खत्म करने से ठीक पहले वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए चौहान ने एक बार फिर केन्द्र सरकार से अपील की कि वह (केन्द्र) राज्य में हाल ही में हुए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को हुए भारी नुकसान से निपटने के लिए 5000 करोड़ रुपये की विशेष पैकेज शीघ्र जारी करे, ताकि किसानों की इस संकट की घड़ी से उबारा जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही इस प्राकृतिक आपदा से हुए पूरे नुकसान का आकलन कर लिया जाएगा, उनकी पूरी कैबिनेट तुरंत केन्द्र को वर्तमान स्थिति से अवगत कराने के लिए दिल्ली जाएगी।
हालांकि, चौहान ने एक बार फिर कहा, 'किसानों की इस संकट की घड़ी में राज्य के लोग उनके साथ हैं और राज्य सरकार इस आपदा से निपटने के लिए उनकी (किसानों) सभी संभव मदद करेगी।'
मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार से 'फसल बीमा योजना' को व्यावहारिक बनाने की मांग करते हुए कहा कि किसान के फसल को प्राकृतिक आपदा से जितना नुकसान हो, उसकी पूरी भरपाई बीमा कंपनी और सरकार मिलकर करे। उन्होंने केन्द्र सरकार से यह भी मांग की कि राज्य में हाल ही में हुए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुए फसलों के भारी नुकसान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करे।
चौहान ने कहा कि अगर प्रदेश के साथ केन्द्र सरकार द्वारा अन्याय किया जाएगा, तो राज्य सरकार उसको चुपचाप सहन नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमने किसानों को राहत देने के लिए पहले ही 2000 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं और यह केवल अभी शुरुआत है। हम प्रभावित किसानों को सहायता देने के लिए सभी संभव उपाय करेंगे।'
उन्होंने बताया कि इस धरने के दौरान विभिन्न संगठनों और लोगों ने 7.42 करोड़ रुपये इस आपदा से निपटने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में दान भी दिया है।
इस अवसर पर चौहान ने ऐसे प्राकृतिक संकटों से निपटने के लिए केन्द्र से एक 'स्थायी राष्ट्रीय आपदा राहत कोष' गठित करने की भी मांग की और लोगों से अपील की कि वे उदारता के साथ मुख्यमंत्री के आपदा राहत कोष में दान करें।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर यह कहते हुए तीखे प्रहार भी किए कि उनके (चौहान) द्वारा प्रभावित किसानों के खेतों और गांवों का दौरा करने को कांग्रेस के नेता 'ओला पर्यटन' कह रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता किसानों की इस पीड़ा के प्रति असंवेदनशील हैं।
चौहान ने केन्द्र की इस बात के लिए भी आलोचना की कि केन्द्र सरकार के एक उच्चस्तरीय समिति द्वारा 370 करोड़ रपए का मुआवजा देने की सिफारिश करने के बावजूद भी केन्द्र सरकार ने उन किसानों को मदद उपलब्ध नहीं कराई, जिनकी सोयाबीन की फसल भारी बारिश से पिछले साल खराब हो गई थी।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार की इस बात के लिए भी खिंचाई की कि वह (केन्द्र) चने को 3100 रपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीद रही है और मध्यप्रदेश को बासमती उत्पादक राज्य का दर्जा भी नहीं दे रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश का बासमती उत्पादक राज्य का दर्जा इसलिए नहीं दे रही है, क्योंकि पाकिस्तान इसका विरोध कर रहा है।
चौहान ने कहा, 'मध्यप्रदेश के किसानों को नुकसान पहुंचाने के लिए एपीडा ने पाकिस्तान से सांठगांठ कर लिया है।' कैलाश विजयवर्गीय, जयंत मलैया, उमाशंकर गुप्ता और बाबूलाल गौर सहित कई कैबिनेट मंत्री भी आज उपवास पर रहे और मुख्यमंत्री के साथ धरने पर बैठे।
किसानों के प्रति केन्द्र के असंवेदनशील रवैये के विरोध में भाजपा ने मध्यप्रदेश में आज दो बजे तक ‘बंद’ का आहवान किया था, जिसके कारण राज्य में आज सभी बाजार इस दौरान बंद रहे।
केजरीवाल ने इस साल जनवरी के महीने में दिल्ली के सर्वाधिक सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में दिल्ली पुलिस के खिलाफ 33 घंटे तक धरने पर बैठकर प्रदर्शन करने की एक नई प्रथा शुरू कर दी थी। हालांकि कुछ दिनों बाद उन्होंने जनलोकपाल के मुद्दे पर दिल्ली के मु़ख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल मात्र 49 दिन का था, लेकिन वह काफी उथल-पुथल वाला कार्यकाल था।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी भी अपने राज्य को दो भागों में विभाजन से बचाने के लिए किए गए अंतिम प्रयास में पिछले महीने धरना देने के लिए दिल्ली आए थे। हालांकि, वह इसमें सफल नहीं हो सके।
इसी प्रकार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य को विशेष दर्जा दिलाने के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव डालने के लिए बिहार की राजधानी पटना में रविवार को पांच घंटे तक प्रदर्शन किया था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं