झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है कि हम द्वेष की भावना से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. उनके खिलाफ हमारे पास भ्रष्टाचार मामले में पर्याप्त सबूत हैं. यह जगजाहिर है कि उनके राज में झारखंड में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. यही नहीं हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने कहा, द्वेष की भावना से कार्रवाई करना बीजेपी का काम है. हमारा नहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा का नहीं.
मुख्यमंत्री ने एनडीटीवी से कहा, “ये भ्रष्टाचार के आरोप जो उन पर लग रहे हैं, वह जगजाहिर है, कागजों में है. दस्तावेज है. सभी दस्तावेज को नियमित रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है. कई बड़े पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई की पहल हो चुकी है. कई पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुका है. और जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर उल्लंघन किया गया है, ऐसे में कार्रवाई होना तो निश्चित है. इसमें किसी के पक्ष या विपक्ष की बात नहीं है, जो नियम है, वो नियम है. कार्रवाई होना तय है.''
वहीं, एक साल पूरे होने पर और चुनाव में किए गए वादे पर उन्होंने कहा, आलोचना करने वालों का काम है आलोचना करना और वो करेंगे भी. आलोचना करने वाले सरकार के अच्छे कामों को कभी गिनाएंगे नहीं. जैसा कि हम सभी जानते हैं इस समय हम लोग महामारी के दौर से गुजर रहे हैं और पूरी तरह से इससे निकले भी नहीं हैं.'' उन्होंने कहा, लॉकडाउन के समय पूरे देश ने देखा कि अलग अलग जगहों पर फंसे लोगों, मजदूरों, किसानों के पीछे कौन खड़ा था?” आप देखे होंगे कि हमने अन्य राज्यों में फंसे लोगों को वापिस लाया और उनके रोजगार सृजन के लिए बखूबी इंतजाम किया. हम राज्य में पॉलटिकल एजेंडा फिट करने के लिए नहीं आए हैं. हम राज्य को एक नई दिशा देने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, “हम झारखंड को ऐसी स्थिति में पहुंचाना चाहते हैं कि फिर से कभी झारखंड को किसी का मोहताज नहीं होना पड़े.”
घोटालों के संबंध में बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमारी सरकार में एक रुपया का भी घोटाला नहीं हुआ है. यह बात सही है कि पूर्व की सरकारों में घोटाले हुए हैं. खासतौर पर कोयला खादान क्षेत्र में. जिस संदर्भ में चर्चा हो रही है. वह प्राइवेट क्षेत्र है. यहां तो सरकारी क्षेत्र में घोटाले हो चुके हैं. यहां टाटा, सेल के अलावा केंद्र सरकार ने सभी कोयला खदानों को बंद कर रखा है. हमने केंद्र सरकार को सभी खादानों को खोलने के लिए पत्र भेजा है. कि सभी खादानों को चलाया जाए. क्योंकि मौजूदा वक्त में काफी क्राइसिस है. ये लोग जो हम पर आरोप लगाते हैं, ये नहीं देखते कि ये अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर अतिक्रमण कर रहे हैं. अभी जिस विषय को लेकर बात आ रही है, उस पर हमारी पैनी नजर है. मैं आग्रह करूंगा अगर राज्य सरकार कोई गलत फैसला करती है तो आप बिल्कुल अपनी बात रख सकते हैं.”
उन्होंने सरना धर्म मामले पर कहा, “इस विषय को हम निश्चित रूप से आगे ले जाएंगे. मैंने आपको पहले ही कहा था कि ये हमारी पहली सीढी है, अभी हमको कई ऐसी सीढ़ियां चढ़ना है. अभी जो जनगणना आगामी होना है, उसमें आप देखेंगे कि केंद्र सरकार ने 6 जातियों का जिक्र किया है. 2011 के जनगणना में लगभग साढ़े 11 करोड़ आदिवासियों ने अपने आप को आदिवासी चिह्नित किया है. उसमें से लगभग 50 लाख सरना धर्म के लोगों ने अपने आप को सरना आदिवासी लिखवाया है, तो इतने बड़े वर्ग को आप लोग नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. आज जिस 6 जातियों में इन लोगों ने बौद्ध धर्म से अलग करके बांटा है, आप देखेंगे कि हम बौद्ध धर्म के लोगों से अधिक हैं,तो ऐसे में आप इन लोगों को कॉलम क्यों नहीं देंगें?”
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