बिलासपुर में नसबंदी के दौरान मारी गई महिलाओं को जिस कंपनी महावीर फार्मा की दवा दी गई थी, उसके मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया है।
13 महिलाओं की जान लेने वाली दवा सिप्रोसिन 500 में जिंक फॉस्फाइड मिला हुआ था, जिसके इस्तेमाल चूहे मारने वाली दवा बनाने में होता है। बिलासपुर के डिविजनल कमिश्नर सोनमनी बोरा ने यह खुलासा किया है। दवा कंपनी से 2 लाख से ज्यादा सिप्रोसिन टैबलेट और 4 लाख से ज्यादा अन्य दवाएं भी जब्त की गई हैं।
एनडीटीवी इंडिया को विधानसभा में पेश कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि महावर फार्मा को बार-बार गड़बड़ियों के बावजूद मौका दिया जाता रहा।
दिसंबर, 2010 में कंपनी को मानक स्तर के विटामिन बी कॉम्प्लेक्स न बनाने पर कारण बताओ नोटिस दिया गया था। जून, 2011 में इन्हें 90 दिन के लिए रिएक्टिव प्लस नाम की दवा बनाने से रोक दिया गया था।
अगस्त, 2011 में भी रिएक्टिव प्लस बनाने पर ही इन पर छह महीने की पाबंदी लगी थी। नवंबर, 2011 में एक आयरन सिरप में गड़बड़ी की वजह से इन पर फिर 90 दिन की पाबंदी लगी थी।
इधर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नसबंदी कांड के पीड़ितों से मुलाकात करने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार पर मामले को रफा-दफा करने के प्रयास का आरोप लगाया और कहा कि इस हादसे में भ्रष्टाचार की भूमिका है। इस त्रासदी में 13 महिलाओं की मौत हो गई और कई का अभी इलाज जारी है।
पीड़ित परिवारों से उनके गांवों में मुलाकात करने और अस्पताल का दौरा करने के बाद राहुल गांधी ने इस त्रासदी की जिम्मेदारी न लेने के लिए रमन सिंह सरकार की आलोचना की और एक व्यापक जांच की मांग की।
राहुल गांधी ने ने कहा कि शिविर उचित ठंग से नहीं चल रहा था और कई लोगों को नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार जिम्मेदारी नहीं ले रही है और बदले में दवाओं को जलाया जा रहा है और मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है।
(इनपुट भाषा से भी)
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