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This Article is From Apr 12, 2023

छत्तीसगढ़ : हिंसा के बाद बंद दुकानें, घरों में दुबके लोग और वीरानी, जानिए बिरनपुर की कहानी

लगभग डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव के भीतर हर सड़क और गली में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) तथा पुलिस कर्मियों का पहरा है. बिरनपुर गांव में कथित तौर पर स्कूली बच्चों के बीच झगड़े के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी.

छत्तीसगढ़ : हिंसा के बाद बंद दुकानें, घरों में दुबके लोग और वीरानी, जानिए बिरनपुर की कहानी
गांव के भीतर हर सड़क और गली में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल तथा पुलिस कर्मियों का पहरा है. (प्रतीकात्मक)
बिरनपुर (छत्तीसगढ़) :

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में शनिवार को सांप्रदायिक हिंसा के बाद अब गांव और आस-पास के इलाके में ​वीरानी छाई हुई है. क्षेत्र की दुकानें बंद हैं और लोग घरों के भीतर हैं. जिले के साजा कस्बे से बिरनपुर तक 15 किलोमीटर की सड़क को पुलिस ने तीन जगहों पर अवरोधक लगाकर रोक दिया है. इस सड़क पर सरकारी अधिकारियों, पुलिस और मीडियाकर्मियों के अलावा अन्य लोगों का प्रवेश वर्जित है. 

लगभग डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव के भीतर हर सड़क और गली में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) तथा पुलिस कर्मियों का पहरा है. राजधानी रायपुर से लगभग 110 किलोमीटर दूर बिरनपुर गांव में कथित तौर पर स्कूली बच्चों के बीच झगड़े के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. इस झड़प में एक स्थानीय युवक भुनेश्वर साहू (22) की मौत हो गई और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. 

मंगलवार को गांव में स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब पुलिसकर्मियों ने गांव से कुछ किलोमीटर दूर रहीम मोहम्मद (55) और उनके बेटे इदुल मोहम्मद (35) के शव बरामद किए. अधिकारियों ने बताया कि शव पर चोट के निशान मिले हैं तथा दोनों बिरनपुर गांव के ही निवासी थे. 

स्थानीय प्रशासन ने गांव और आसपास के क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दिया है, जिससे लोग एक जगह एकत्र न हो सकें. गांव में आठ अप्रैल को हुई सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए भुनेश्वर साहू (22) के घर के बाहर दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेकर और पहचान सत्यापित करने के बाद ही पत्रकारों को साहू के घर प्रवेश करने की अनुमति है.

घटना में मारे गए भुनेश्वर साहू के छोटे भाई कृष्णा साहू ने कहा, ‘‘हमें न तो वित्तीय सहायता चाहिए और न ही नौकरी. हम केवल अपने भाई की हत्या के दोषियों के लिए मौत की सजा चाहते हैं. दोषियों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए, तभी हमारे साथ न्याय होगा.''

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी और परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की.

बिरनपुर हिंसा के विरोध में हिंदू संगठनों ने सोमवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया था. बंद के दौरान जब बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता गांव की ओर बढ़ रहे थे तब उन्हें गांव से करीब 10 किलोमीटर पहले रोक दिया गया था.

सोमवार को ही बिरनपुर गांव के बाहर भीड़ ने एक घर में आग लगा दी थी. वहीं राजधानी रायपुर के बस स्टैंड पर कथित तौर पर एक यात्री बस को निशाना बनाकर पथराव किया था, जिससे वाहन के शीशे क्षतिग्रस्त हो गए थे. 

अधिकारियों ने पुष्टि की है कि बिरनपुर गांव के बाहर सोमवार को जिस घर में आगजनी की गई, वह रहीम का था. रहीम और उसके बेटे इदुल के शव मंगलवार को बरामद किए गए.

इदुल के घर में उसका पांच साल का बेटा, मां और पत्नी है. इदुल की यह दूसरी शादी थी. उसकी पहली पत्नी का निधन हो गया था. कड़ी सुरक्षा के बीच आज शाम इदुल और उसके पिता के शवों का अंतिम संस्कार किया गया. 

बेमेतरा जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) इंदिरा कल्याण एलेसेला ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि रहीम और इदुल की मौत सिर में चोट लगने से हुई थी, लेकिन विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही इस संबंध में जानकारी मिल सकेगी.''

उन्होंने कहा कि यह पहले की घटना (हिंसा की) से जुड़ा है या अलग मामला है अभी जांच का विषय है. एसपी ने कहा, ‘‘गांव में स्थिति निश्चित रूप से नाजुक है लेकिन उम्मीद है कि यह जल्द ही सामान्य हो जाएगी. जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा ग्रामीणों तथा धार्मिक समूहों की मदद ली जा रही है. वह सहयोग कर रहे हैं. कोई भी संघर्ष नहीं चाहता है.''

गांव से चार या पांच लोगों के लापता होने की अफवाहों के बारे में पूछे जाने पर एलेसेला ने कहा, ‘‘अभी तक किसी ने गुमशुदगी की शिकायत नहीं की है. संभवतः झड़प के बाद कुछ ग्रामीण आसपास के गांवों में चले गए हैं. यही कारण है कि यह अफवाह फैली है. हम इसकी जांच कर रहे हैं.''

बिरनपुर के ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में मामूली झड़पों को छोड़कर गांव में इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा कभी नहीं हुई थी. 

उन्होंने बताया, ‘‘गांव में लगभग 1200 मतदाता हैं और उनमें से लगभग 300 मुसलमान हैं. मुसलमान पिछले कई वर्षों से गांव में रह रहे हैं लेकिन इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा कभी नहीं हुई. हमने हिंदू और मुस्लिम दोनों त्योहारों के दौरान बधाई और उपहारों का आदान-प्रदान किया. संबंध हमेशा से सौहार्दपूर्ण था.''

ग्रा​मीणों ने बताया कि साहू परिवार की दो युवतियों का मुस्लिम युवकों से शादी के बाद गांव में तनाव फैलना शुरू हो गया. यह घटना इस वर्ष जनवरी माह में हुई थी. भविष्य में इस तरह के विवाह को रोकने के उपायों पर चर्चा करने के लिए सर्व हिंदू समाज ने यहां एक सम्मेलन आयोजित किया था.

उन्होंने कहा, ‘‘आठ अप्रैल की हिंसा दो समुदायों के स्कूली बच्चों के बीच एक छोटी लड़ाई के बाद हुई. किसी ने यह उम्मीद नहीं की थी कि यह लड़ाई सांप्रदायिक हिंसा में बदल जाएगी.''
 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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