Chandrayaan-3: चांद के लिए एक और स्टेप आगे बढ़ा चंद्रयान-3, लैंडर मॉड्यूल की हुई डीबूस्टिंग

चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अब 113 x 157 Km की कक्षा में आ गया है. यानी अब उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 Km और सबसे ज्यादा दूरी 157 Km है. इसरो ने डीबूस्टिंग के जरिए चंद्रयान की कक्षा घटाई है.

Chandrayaan-3: चांद के लिए एक और स्टेप आगे बढ़ा चंद्रयान-3, लैंडर मॉड्यूल की हुई डीबूस्टिंग

अब चंद्रमा से चंद्रयान-3 के बीच सबसे कम दूरी 113 Km और सबसे ज्यादा दूरी 157 Km है.

नई दिल्ली:

भारत के तीसरे लूनर मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद की ओर एक और स्टेप आगे बढ़ चुका है. शुक्रवार को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) से अलग होने के बाद लैंडर (Vikram Lander) खुद ही आगे की दूरी तय कर रहा है. शुक्रवार (18 अगस्त) को लैंडर मॉड्यूल डीबूस्टिंग यानी इसकी स्पीड धीमी की गई. अब ये चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में उतर गया है. 

भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेश (ISRO)ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. इसरो ने बताया कि लैंडर मॉड्यूल (एलएम) अच्छी स्थिति में है. इसने सफलतापूर्वक डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया, जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई. दूसरा डिबॉस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त 2023 के लिए निर्धारित है. 

चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अब 113 x 157 Km की कक्षा में आ गया है. यानी अब उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 113 Km और सबसे ज्यादा दूरी 157 Km है. इसरो ने डीबूस्टिंग के जरिए चंद्रयान की कक्षा घटाई है.


इसरो अब डीबूस्टिंग का दूसरा ऑपरेशन 20 अगस्त को रात 2 बजे परफॉर्म करेगा. इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाएगी. सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश होगी.


सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का चौथा देश बनेगा भारत
अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली यानी मिशन कामयाब हुआ, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे. चीन 2013 में चांग'ई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है.

कब हुई लॉन्चिंग?
चंद्रयान-2 के फेल होने के 4 साल बाद ISRO ने 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.30 बजे चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया. 22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था. तब उसकी स्पीड कम की गई थी, ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके. स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने स्पेसक्राफ्ट के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए. ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी.

615 करोड़ रुपये है चंद्रयान-3 का बजट
चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपये है. इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान-2 की लागत 603 करोड़ रुपये थी. हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.

चंद्रमा की सतह के बारे में मिलेगी जानकारी
चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी.

चंद्रमा पर 14 दिन तक प्रयोग करेंगे लैंडर-रोवर
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं. लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा.

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