साल 2019 का पहला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2019) आज (21 जनवरी) लगेगा. यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. इस दिन निकलने वाले चंद्रमा को सुपर ब्लड मून का नाम दिया जाता है. क्योंकि इस दिन ग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है. बताया जाता है कि इस अवधि के दौरान चंद्रमा धरती के काफी नजदीक होता है. यह ग्रहण कुल 3 घंटे 30 मिनट का होगा. हालांकि, यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. भारतीय समयानुसार ये ग्रहण 21 जनवरी को सुबह 10:41 बजे शुरू होगा. यह साल का पहला व आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा. इसके बाद पूर्ण चंद्र ग्रहण 29 मई 2021 में लगेगा. इसलिए भी ग्रहण का महत्व बढ़ गया है. आज होने वाले ग्रहण को अनोखा चंद्र ग्रहण भी कहा जा रहा है, इस दौरान चांद की रोशनी 30 प्रतिशत ज्यादा तेज हो जाएगी और 15 प्रतिशत बड़ा चंद्रमा दिखाई देता है. कहते हैं वायुमंडल में जितना अधिक प्रदूषण होता है चांद भी उतना ही लाल चमकता है. नेशनल ज्योग्राफिक की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे पश्चिमी गोलार्ध में लोग ग्रहण के सभी या कुछ भाग को देख सकेंगे. उत्तरी अमेरिका, सेंट्रल अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के लोग सुपर वुल्फ रेड मून (Super Blood Wolf Moon Lunar Eclipse) के सभी चरणों को अच्छे से देख पाएंगे. ऑस्ट्रेलिया और एशिया में ये नजारा देखने को नहीं मिलेगा. इससे पहले जनवरी के पहले हफ्ते में हुआ सोलर इक्लिप्स भी भारत में देखने को नहीं मिला था.
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क्या है खास बात
पहले चरण में चांद में कोई खास अंतर दिखाई नहीं देगा. दूसरे चरण में आंशिक ग्रहण दिखाई देना शुरू होगा. इसके करीब 90 मिनट बाद चांद पूरी तरह से लाल हो जाएगा. मून रेडिश ग्लो दिखाई देगा. फिर प्रक्रिया ऐसे ही उल्टे क्रम में शुरू होगी. अगर मौसम साफ होगा तो इस बेहद अद्भुत नजारे देखें जाएंगे.
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क्या होता है चंद्रग्रहण?
जब सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती हुई पृथ्वी एक सीध में अपने उपग्रह चंद्रमा तथा सूर्य के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें रुक जाती हैं, और पृथ्वी की प्रच्छाया उस पर पड़ने लगती है, जिससे उसका दिखना बंद हो जाता है. इसी खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है.
क्या है लोगों की मान्यता
- लोगों की मान्यता है कि ग्रहण के तुरंत बाद किसी भी काम को करने से पहले नहाना चाहिए.
- सिर्फ खुद को ही नहीं बल्कि घर में मंदिर में मौजूद सभी भगवानों की मूर्तियों को भी नहलाना या फिर गंगाजल छिड़कना चाहिए.
- मूर्तियों और खुद को नहलाने के बाद पूरे घर में धूप-बत्ती कर शुद्धीकरण किया जाना चाहिए.
- घर में या बाहर मौजूद तुलसी के पौधे को भी गंगाजल डालकर स्वच्छ करना चाहिए.
- कुछ लोग तो अपने घरों को भी पानी से धो डालते हैं.
- मान्यता है कि ग्रहण के बाद मन की शुद्धी के लिए दान-पुण्य भी करना चाहिए.
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क्या कहती है पौराणिक कथा?
एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चला. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पीने बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छीन लिया गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी. क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है.
एक सीध में सूर्य, चंद्र और पृथ्वी
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